रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 27 से 29 दिसंबर तक आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन होने जा रहे है। इस अंतर्राष्ट्रीय आयोजन में शामिल होने के लिए सार्क संगठन के सदस्य देशों के सांस्कृतिक मंडलों को भी आमंत्रित किया गया है। इसी कड़ी में राज्य सरकार द्वारा पाकिस्तान को भी न्यौता भेजने की खबरें मीडिया में छाई हैं। इन खबरों ने संस्कृति विभाग की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। दूसरी तरफ विपक्षी पार्टी भाजपा के नेता भी राज्य सरकार के इस कदम की आलोचना कर रहे हैं। विपक्ष ने राज्य सरकार के इस फैसल को लेकर कहा कि राज्य सरकार का यह कदम पूरी तरह से अनुचित और गैरजिम्मेदाराना है।
राज्य सरकार के इस आयोजन में पाकिस्तान को आमंत्रित किए जाने की आलोचना करते हुए भाजपा के वरिष्ठ विधायक और पार्टी प्रवक्ता शिवरतन शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार का यह फैसला पूरी तरह अनुचित और गैरजिम्मेदाराना है। पाकिस्तान के साथ अभी के हालात में किसी भी तरह का राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध रखना राष्ट्रीय हित में सही नहीं है।
यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है और कांग्रेस सरकार को इस विषय में चिंतन करना चाहिए। वैसे भी विदेश नीति देश की होती है, किसी राज्य या पार्टी विशेष की नहीं। आप देखिए, नेहरू जी की विदेश नीति को अटल जी की सरकार ने आगे बढ़ाया। उसी नीति को मनमोहन सिंह सरकार ने आगे बढ़ाया था।
दूसरी तरफ मंत्री राज्य के संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत का कहना है कि सचिव स्तर के अधिकारियों को दूसरे देशों को चिट्ठी लिखने का न्यौता दिया गया था। पाकिस्तान को न्यौता दिया गया था या नहीं इसकी पुख्ता जानकारी उन्हें नहीं है। उन्होंने ये भी कहा कि अगर पाकिस्तान को चिट्ठी गई भी होगी तो सार्क देश के सदस्य होने के नाते। जिसे गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है। इस पर अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
अमरजीत भगत ने बताया कि बांग्लादेश और नेपाल ने इस उत्सव में शामिल होने पर अपनी रजामंदी दे दी है। उन्होंने कहा कि सार्क देशों को भी 27 से 29 तक आयोजन का न्यौता भेजा गया है। राज्यों में मंत्रियों का समूह खुद न्योता देने जा रहा है। पाकिस्तान को आमंत्रण भेजने की जानकारी उनके पास नहीं है।
सचिव स्तर के अधिकारी कई देशों को आमंत्रित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही राशन दुकानों को तिरंगे से रंगने का काम शुरु होगा। उन्होंने कहा कि ये काम पहले हो जाना था। तिरंगा देश की शान है। इसके जरिए लोगों के मन मस्तिष्क में तिरंगे को स्थापित करना है।