महाराष्ट्र में शनिवार सुबह रो हुए सियासी उलटफेर को लेकर शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस उच्चतम न्यायालय पहुंची। तीनों दलों ने अदालत से राज्यपाल के आदेश को रद्द करने की मांग की है। याचिकार्ताओं की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर दिया है। अब सोमवार सुबह 10.30 बजे दोबारा मामले की सुनवाई होगी।
आधी रात को हटा राष्ट्रपति शासन
सबसे पहले शिवसेना की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि आधी रात को राष्ट्रपति शासन हटाया गया। बिना कैबिनेट बैठक के राष्ट्रपति शासन को हटाया गया। शपथ का क्या आधार है किसी को इसके बारे में कुछ नहीं पता है। विधायकों को बुलाने का कोई रिकॉर्ड नहीं है। कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई। शनिवार सुबह 5.17 बजे राष्ट्रपति शासन को निरस्त कर दिया गया और 8 बजे दो व्यक्तियों ने मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। क्या दस्तावेज दिए गए?
आज होना चाहिए बहुमत परीक्षण
अदालत में कहा, ‘जब किसी ने शाम के सात बजे घोषणा की थी कि हम सरकार बना रहे हैं, तो राज्यपाल का कृत्य पक्षपातपूर्ण, दुर्भावनापूर्ण, इस न्यायालय द्वारा स्थापित सभी कानूनों के विपरीत है। अदालत को आज बहुमत परीक्षण कराना चाहिए। यदि भाजपा के पास बहुमत है तो उन्हें इसे विधानसभा में साबित करना चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं कर सकते तो हमें दावा पेश करने दीजिए। राज्यपाल कैसे आश्वस्त हुए कि फडणवीस के पास बहुमत है।’ इस पर अदालत ने कहा कि अगर राज्यपाल को लगता है कि किसी के पास बहुमत है तो वह उसे बुला सकते हैं।
महाराष्ट्र को है सरकार की जरुरत
शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के महा विकास अघाड़ी ने अपनी याचिका में राज्य में 24 घंटे के भीतर बहुमत परीक्षण का आदेश देने की मांग की है। सिब्बल ने अपनी दलील में कहा कि महाराष्ट्र को सरकार की जरुरत है। जब हम कह रहे हैं कि हमारे पास बहुमत है तो हम इसे साबित करने के लिए तैयार हैं। हम कल बहुमत साबित करने के लिए तैयार हैं। राज्यपाल ने फडणवीस सरकार को बहुमत साबित करने के लिए 30 नवंबर तक का वक्त दिया है। हमने कर्नाटक में भी ऐसा देखा है। अगर उनके पास (भाजपा) बहुमत है, तो उन्हें अपना बहुमत साबित करने दें।
राज्यपाल ने क्यों नहीं किया इंतजार
वहीं एनसीपी और कांग्रेस की तरफ से अदालत में पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘राज्यपाल का दायित्व है कि उसे शुरुआत में बहुमत के लिए दस्तावेज और फिजिकल वेरिफिकेशन से संतुष्ट होना होता है। यह प्रक्रिया है। जब शाम सात बजे यह घोषणा की गई कि हम सरकार बनाने का दावा पेश करने वाले हैं और उद्धव ठाकरे इसका नेतृत्व करेंगे, तो क्या राज्यपाल इंतजार नहीं कर सकते थे? केवल 42-43 सीटों के सहारे अजीत पवार उप-मुख्यमंत्री कैसे बन गए? यह लोकतंत्र की हत्या नहीं है?’
सिंघवी ने अदालत को दिया सुझाव
उन्होंने आगे कहा, कल 41 विधायक ने अजित पवार को हटा दिया। अजित का समर्थन पत्र गैरकानूनी है। अदालत को सुझाव देते हुए सिँघवी ने कहा कि सोमवार सुबह प्रोटेम स्पीकर के तौर पर सबसे वरिष्ठ विधायक को चुना जाए। जिसके बाद सुबह के 11 बजे से शाम के चार बजे तक सभी विधायकों की शपथ विधि हो जाएगी। इसके बाद विधानसभा में बहुमत परीक्षण करवाया जा सकता है।