रायपुर। कांग्रेस के 50 फीसद पार्षदों का टिकट कट सकता है। इसका कारण यह है कि कुछ का आरक्षण ने समीकरण बिगाड़ दिया है, तो कुछ को कमजोर परफॉर्मेंस के कारण चुनाव नहीं लड़ाया जाएगा। वहीं, आरक्षण को ध्यान में रखकर हर नगरीय निकाय में महापौर व अध्यक्ष के कद के चार-पांच नेताओं को मैदान में उतारने का विचार हुआ है, ताकि विकल्प की कमी न रहे। छत्तीसगढ़ में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आला नेताओं के अनुसार वार्ड स्तर पर प्रत्याशी चयन के लिए सर्वे शुरू हो चुका है। गोपनीय रूप से चल रहे सर्वे में वर्तमान पार्षद और दावेदारों की रिपोर्ट तैयार हो रही है। दूसरी तरफ, पार्टी ने प्रत्याशी चयन के लिए वार्ड, ब्लॉक, जिला और प्रदेश स्तरीय कमेटी बनाने का निर्णय लिया है।
इन कमेटियों का अभी गठन नहीं हुआ है, क्योंकि प्रदेश कमेटी निकाय चुनाव की घोषणा का इंतजार कर रही है। गोपनीय सर्वे का काम चल रहा है, जिसमें बूथ और मोर्चा-संगठनों के कार्यकर्ताओं को लगाया गया है। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में लगभग 50 फीसद नए चेहरे को मैदान में उतारा था, यही नगरीय निकाय चुनाव में देखने को मिल सकता है। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में ज्यादातर नए चेहरों पर जनता ने भरोसा जताया और कांग्रेस को बंपर जीत मिली।
यह प्रयोग कांग्रेस नगरीय निकाय चुनाव में भी कर सकती है, क्योंकि सर्वे में यह बात सामने आ रही है कि बहुत से वर्तमान पार्षदों के कामकाज से वार्ड की जनता संतुष्ट नहीं है। जहां कांग्रेस के पार्षद नहीं हैं, वहां भी पुराने नामों की जगह नए नाम देखने को मिल सकता है। जिन वार्डों का आरक्षण बदल गया है, वहां के पार्टी पार्षद दूसरे वार्ड से दावेदारी कर रहे हैं, लेकिन बताया जा रहा है कि संगठन वार्ड के बाहर के लोगों को टिकट देने से परहेज करेगी।
विधानसभा के फॉर्मूले पर दावेदारी का देंगे मौका
कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में कार्यकर्ताओं को भी दावेदारी करने का मौका दिया था। दावेदारों ने ब्लॉक अध्यक्षों को निर्धारित प्रारूप में अपना आवेदन दिया था। कांग्रेस यही फॉर्मूला नगरीय निकाय चुनाव में भी अपनाने जा रही है। पीसीसी ने सभी जिलाध्यक्षों को दावेदारों के लिए प्रारूप भेज दिया है। उनका आवेदन वार्ड स्तरीय प्रत्याशी चयन कमेटी से ब्लॉक और जिला से होकर प्रदेश स्तरीय प्रत्याशी चयन कमेटी तक पहुंचेगा।