बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में करीब ढ़ाई दशक से बंदूक की नोक पर आतंक मचा रहे नक्सलियों के खिलाफ अब आदिवासी संगठन एकजुट होने लगा है। आदिवासियों को दबाव में लेकर बस्तर में अपनी सत्ता चलाने वाले नक्सलियों के खिलाफ यहां के एक संगठन ने मोर्चा खोला है। आदिवासी विकास समिति ने नक्सलियों के खिलाफ पोस्टर वार शुरू किया। नक्सलियों के विरोध में यहां पोस्टर लगाए जा रहे हैं और आदिवासी ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है कि वे उनके दबाव और झांसे में ना आएं। मंगलवार की सुबह मद्देड इलाके में आदिवासी विकास समिति द्वारा नक्सलियों के खिलाफ फेंके गए सैकडों पर्चे सड़क पर मिले। कुछ जगहों पर पोस्टर भी चिपके मिले हैं जिनमें नक्सलवाद को खोखली विचारधारा बताया गया है।
बस्तर में नृशंस हत्याओं और विष्फोटक विध्वंस के चलते यहां के समाज में नक्सलियों की नकारात्मक छवि और भी मजबूत हुई है। पहले ग्रामीण इनके दबाव और भय में आकर सहयोग करते थे, लेकिन वे भी अब भय को दरकिनार कर इनका विरोध कर रहे हैं।
संगठन द्वारा फेंके गए पर्चो में बासागुड़ा क्षेत्र के तीमापुर और दंतेवाड़ा क्षेत्र के टीकनपाल में मासूमों की निर्मम हत्या का भी जिक्र किया गया है और इसके लिए नक्सल संगठन को जिम्मेदार ठहराया गया है। इस क्षेत्र में नक्सली बच्चों की शिक्षा के भी खिलाफ हैं और स्कूल भवनों को विस्फोट कर उड़ाते रहते हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों को डराया-धमकाया जाता है और उन्हें स्कूल जाने से रोका जाता है।
आदिवासी विकास समिति के प्रवक्ता ने राज्य के उद्योग मंत्री कवासी लखमा पर नक्सलियों के साथ नरम स्र्ख अपनाने का आरोप भी इस पर्चे में लगाया है। संगठन के प्रवक्त ने अपने पत्र में यह सवाल किया है कि अगर वे नक्सलियों के साथ नहीं हैं तो क्यों उनकी निंदा नहीं करते।
हल्बी में लिखित पर्चो में नक्सलियों को समाज का दुश्मन बताया गया और ग्रामीणों से अपील की गई है कि दुश्मन हमारे बीच में हैं, उन्हें पहचानने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर फेंके गए पर्चों को पुलिस ने किया बरामद कर मामले की तहकीकात शुरू कर दी है।