2000 रुपये के नोटों की जमाखोरी बढ़ी, इन सख्त उपायों से लगाम लगाने की तैयारी!

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि सांसद डॉ. एल हनुमंतय्या ने संसद में सवाल पूछा था कि क्या सरकार ने बड़े मूल्य के नोटों के कारण बेहिसाबी नकदी के भारी जोखिम को देखते हुए उच्च मूल्य के मुद्रा नोटों, जैसे कि 2000 हजार रुपये के नोटों की आसान जमाखोरी के मामले से निपटने के लिए कोई कदम उठाए हैं, अगर हां तो क्या हैं?

1. नोट की जमाखोरी को रोकने के लिए डिजिटल पेमेंट में सरकार ने 1 नवंबर 2019 से बड़ा बदलाव किया है. यह नया नियम 50 करोड़ रुपये से ज्यादा के टर्नओवर वाले कारोबारियों के ऊपर ही लागू होगा. नए नियम में कारोबारियों को इलेक्ट्रॉनिक मोड से भुगतान लेने पर अब कोई भी शुल्क या चार्ज नहीं देना होगा.

2. पहले के मुकाबले एक साल में एक बैंक अकाउंट से 1 करोड़ रुपये से अधिक राशि निकालने पर अब 2 फीसदी टीडीएस लगेगा. इससे पहले की गई नकद निकासी पर टीडीएस नहीं काटा जाएगा, मगर पहले निकाले हुए पैसों को भी निकासी में शामिल किया जाएगा. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में 31 अगस्त, 2019 तक जो लोग पहले ही एक करोड़ रुपये की नकद निकासी कर चुके हैं, उनकी इसके बाद की सभी निकासी पर दो प्रतिशत का टीडीएस लगने वाला है.

3. जमाखोरी को रोकने के लिए सरकार ने कैश में पेमेंट करने की सीमा भी तय है. आपके अपने निजी खर्च-कारोबारी खर्च के लिए नियम भी तय है. निजी खर्च के लिए 2 लाख रुपये तक कैश भुगतान होता है. वहीं, बिजनेस के लिए 10,000 रुपये तक कैश लिमिट तय की गई है.

4. सरकार ने धर्मार्थ संगठनों को दिए जाने वाले नकद दान की सीमा को 10 हजार से घटाकर 2000 रुपये कर दिया गया है.

5. अगर कोई आपको लोन की रकम बैंक सीधे अकाउंट में ही भेजता है तो यह सीमा 20 हजार

6. मोदी सरकार ने राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले चंदे की रकम में पारदर्शिता लाने के लिए सेक्शन 13A के प्रावधानों में भी सुधार किया गया है.इसके हिसाब से 2000 रुपये से अधिक की रकम बैंक चेक या ड्राफ्ट के माध्यम से ही दी जानी चाहिए. अगर कोई व्यक्ति चाहे तो इसे ECS के माध्यम से भी दे सकता है. इसके साथ ही लोगों को चुनावी बांड के विकल्प भी उपलब्ध कराए गए हैं.रुपये है. वहीं, 20,000 रुपये से ज्यादा कैश लोन लिया तो 100 फीसदी पेनल्टी देनी होगी.

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