आईटीबीपी कैंप में 15 मिनट चला मौत का तांडव

नारायणपुर। कड़ेनार कैंप में आईटीबीपी के जवान ने मौत का जो कहर बरपाया उसकी जद में आने से वही बचा, जो बैरक में नहीं था। करीब 15 मिनट तक फायरिंग की आवाज सुनाई देती रही। मौके पर कुछ ही जवान थे जो गोलीबारी का शिकार हो गए। बाकी के जवान या तो संतरी ड्यूटी पर थे या फिर रोड ओपनिंग गश्त में निकले थे। आरोपित जवान मसुदुल रहमान को छुट्टी पर जाना था इसलिए वह कैंप में था। अन्य कुछ जवान कैंप के काम से वहां रुके थे। रहमान ने साथी जवान की रायफल से पहले उस बैरक में फायरिंग की, जहां वह रहता था। इसके बाद गोलियां बरसाती एके 47 लेकर वह बाहर निकला और दूसरी बैरकों की तरफ बढ़ा। पहले तो साथी जवानों को समझ ही नहीं आया कि क्या हो रहा है। जब तक समझ आता देर हो चुकी थी। पांच जवान गोली का शिकार हो चुके थे और दो घायल पड़े थे। बैरक खाली मिलने पर रहमान गन लेकर रेडियो रूम की तरफ बढ़ा। जो सामने आया बिना चेतावनी दिए उसने फायर झोंक दिया।

इस वारदात के बाद जवान न सिर्फ दहशत में दिखे बल्कि आक्रोशित भी नजर आए। मौके पर जवानों से चर्चा करने की बहुत कोशिश की मगर बात नहीं हो पाई। जवानों ने खुद को कैंप में कैद कर लिया। बाद में एसपी और अन्य अफसर पहुंचे तो कैंप के मुख्य द्वार का ताला खोला गया। इसके बाद भी जवान बाहर नहीं आए। मृतकों के शव उठाने के लिए हेलीकॉप्टर आया तो कैंप के सामने ही मौजूद हेलीपैड की सुरक्षा के लिए जवान बाहर निकले। उनसे बात करने की बहुत कोशिश की गई, लेकिन किसी ने चुप्पी नहीं तोड़ी। जवान बस इतना ही बोले- अभी हम बहुत फ्रस्ट्रेट हैं। कृपया यहां से चले जाइए। हमें कोई बात नहीं करनी है।

सबकुछ ठीक था, न जाने उसके दिमाग में क्या आया- आईजी

बस्तर आइजी सुंदरराज पी ने नईदुनिया से कहा कि कड़ेनार में सुबह सब कुछ ठीक था। न जाने उस जवान के मन में क्या आया कि वह मरने-मारने पर उतारू हो गया। अब तक जितनी पूछताछ हुई है उससे यही पता चला है कि रहमान छुट्टी पर जाने को तैयार हो रहा था। उसने अपना हथियार भी जमा करा दिया था। पता नहीं वह खुद की गोली से मरा या फिर साथी जवानों ने उसे रोकने के लिए उस पर फायर किया। अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। हम पोस्टमार्टम और फॉरेंसिंक रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद ही पता चलेगा कि रहमान की मौत कैसे हुई। जब उसने फायर शुरू किया तो कुछ लोग बाहर संतरी ड्यूटी पर थे। कुछ सर्च ऑपरेशन और रोड ओपनिंग में गए थे। उस मार्ग पर कन्हारगांव और कड़ेनार में फोर्स के कैंप हैं। कड़ेनार अंतिम कैंप है।

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