कवर्धा। खरीदी केंद्र में कोई भी किसान अब एक दिन में 80 क्विंटल से ज्यादा धान नहीं बेच सकेंगे। इस संबंध में समिति प्रबंधकों को मौखिक निर्देश दिया गया। पहले इससे ज्यादा मात्रा में किसान धान बेचते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। रकबा के हिसाब से बचे धान को बेचने किसानों को दोबारा टोकन कटवाना पड़ेगा। पहले तो मौखिक आदेश दिया गया था। गुरुवार देर शाम को आदेश जारी हो गया। आदेश को लेकर सोसाइटी ऑपरेटर व किसान नाराज है। नाराज किसानों ने शुक्रवार की सुबह करीब 11 बजे कलेक्टोरेट का घेराव कर दिया। इनके साथ ऑपरेटर भी थे। किसानों ने बताया कि इस बार प्रदेश सरकार ने एक दिसंबर से धान खरीदी शुरू की है।
तीसरे दिन मंगलवार की शाम एक नया आदेश जारी हुआ है, जिसे लागू कर दिया गया है। पिछले कई सीजन से धान खरीदी 25 फीसदी ज्यादा लिमिट सिस्टम से की जा रही थी। इसी टोकन में किसान शेष 25 प्रतिशत धान की मिंजाई होने के बाद बेच रहे थे। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। हर हाल में दोबारा टोकन कटवाना पड़ेगा।
सॉफ्टवेयर भी बदला गया
कलेक्टोरेट पहुंचे ऑपरेटरों ने बताया कि सरकार ने किसानों से धान बेचने का पंजीयन के दौरान सॉफ्टवेयर में उनका रकबा दर्ज किया है। यानी एक किसान का रकबा तीन एकड़ है और उसने धान तय लिमिट के हिसाब से कम बेचा। इसके बाद भी किसानों का धान ज्यादा नहीं खरीदना है। नया आदेश के बाद सॉफ्टवेयर में पुराने सिस्टम को शाम से बंद कर दिया। इससे उन्हें व किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
तकनीकी खामियों के चलते हुई परेशानी
धान खरीदी के लिए शासन के ऑनलाइन सिस्टम में किसानों को तोल के लिए टोकन जारी किया जाना है। ऑनलाइन टोकन जारी करने के लिए सोमवार से शुक्रवार सप्ताह में पांच दिन तय है। खरीदी के पहले और दूसरे दिन के बाद से ऑनलाइन टोकन जारी नहीं हो पा रहे हैं। कई तरह की तकनीकी खामियों के चलते यह परेशानी जिले के तमाम खरीदी केंद्रों में बनी हुई है। खरीदी केंद्र के प्रभारियों ने फिलहाल मैनुअल टोकन जारी करके उसकी जानकारी ऑनलाइन अपलोड करना शुरू किया है।
लिमिट व्यवस्था खत्म
कई वर्षो से यह व्यवस्था थी कि एक किसान के पास दो एकड़ खेत है तो वह 29 क्विंटल 60 किलो धान बेच सकता है। यानी 74 बोरा धान बेचेगा। किसान इसी हिसाब से पंजीयन के दौरान अपना रकबा सॉफ्टवेयर में दर्ज करवाया। टोकन वितरण हुआ तब मिंजाई चल रही थी इसलिए उसने टोकन 50 बोरा धान बेचने का लिया। बाकी धान अपने खाने के लिए रखा। इस टोकन लेने के बाद किसान को 62 बोरा धान बेच सकता था।
50 ज्यादा किसानों के लिए नई समस्या
इस वर्ष जिले में 50 हजार से अधिक किसान पंजीकृत है। इनमें से 80 प्रतिशत किसान इस नए आदेश से प्रभावित हो सकते हैं, जो धान बेच नहीं सके हैं। किसान कई साल से टोकन लिमिट से 25 प्रतिशत ज्यादा की व्यवस्था में ही धान बेचते आ रहे हैं। टोकन लेने के बाद अचानक इस नए आदेश से नई समस्या आ गई।