नागरिकता कानून: अमेरिकी धार्मिक आयोग को भारत का जवाब, अपने काम से काम रखें

अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने भारत के नागरिकता संशोधन विधेयक पर चिंता जाहिर की है। सोमवार को यह विधेयक लोकसभा से पास हो गया। अमेरिका का कहना है कि नागरिकता संशोधन बिल के लिए कोई भी धार्मिक परीक्षण किसी राष्ट्र के लोकतांत्रिक मूल्यों के मूल सिद्धांत को कमजोर कर सकता है।

इस पर जवाब देते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक पर अमेरिकी आयोग का बयान न तो सही है और न ही इसकी जरूरत थी। मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि नागरिकता विधेयक और एनआरसी किसी भी धर्म के भारतीय नागरिक से उसकी नागरिकता नहीं छीनता है। अमेरिका सहित हर देश को अपने यहां की नीतियों के तहत नागरिकता से जुड़े मुद्दे पर फैसला लेने का हक है।

रवीश कुमार ने कहा, ‘अमेरिकी आयोग की ओर से जिस तरह का बयान दिया गया है, वह हैरान नहीं करता है, क्योंकि उनका रिकॉर्ड ही ऐसा है। हालांकि, ये भी निंदनीय है कि संगठन ने जमीनी स्तर पर कम जानकारी होने के बाद भी इस तरह का बयान दिया है। यह संशोधन विधेयक उन धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देता है, जो पहले से ही भारत में आए हुए हैं। भारत ने यह फैसला मानवाधिकार को देखते हुए लिया है। इस प्रकार के फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए न कि उसका विरोध होना चाहिए।

अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक ‘गलत दिशा में बढ़ाया गया एक खतरनाक कदम’ है और यदि यह भारत की संसद में पारित होता है तो भारतीय नेतृत्व के खिलाफ प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।

यूएससीआईआरएफ ने सोमवार को एक बयान में कहा कि विधेयक के लोकसभा में पारित होने से वह बेहद चिंतित है। लोकसभा ने सोमवार को नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) को मंजूरी दे दी, जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है।

आयोग ने कहा, ‘यदि कैब दोनों सदनों में पारित हो जाता है तो अमेरिकी सरकार को भारतीय नेतृत्व के खिलाफ प्रतिबंध लगाने पर विचार करना चाहिए। पेश किए गए धार्मिक मानदंड वाले इस विधेयक के लोकसभा में पारित होने से यूएससीआईआरएफ बेहद चिंतित है।’

नागरिकता संशोधन विधेयक के पक्ष में 311 मत और विरोध में 80 मत पड़े, जिसके बाद इसे लोकसभा से मंजूरी दे दी गई। अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन विधेयक को ऐतिहासिक करार देते हुए सोमवार को कहा था कि यह भाजपा के घोषणापत्र का हिस्सा रहा है तथा 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में देश के 130 करोड़ लोगों ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनाकर इसकी मंजूरी दी है।

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने हालांकि इसका विरोध किया। यूएससीआईआरएफ ने आरोप लगाया कि कैब आप्रवासियों के लिए नागरिकता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करता है हालांकि इसमें मुस्लिम समुदाय का जिक्र नहीं है। इस तरह यह विधेयक नागरिकता के लिए धर्म के आधार पर कानूनी मानदंड निर्धारित करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *