पाकिस्तान को भारत की नसीहत, अपने यहां अल्पसंख्यकों के हालात पर दें ध्यान

नागरिकता संशोधन विधेयक पर पाकिस्तान के पीएम इमरान खान को विदेश मंत्रालय ने करारा जवाब दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने पाक पीएम की टिप्पणी पर कहा, ‘हमें नहीं लगता कि हमें पाकिस्तान पीएम के हर बयान का जवाब देने की जरूरत है। उनके सभी बयान अनुचित हैं, उन्हें भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने के बजाय पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर ध्यान देना चाहिए।

बता दें कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्वीट कर नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 का विरोध किया था। इससे पहले भी पाकिस्तान संसद द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाए जाने पर अपनी भड़ास निकाल चुका है। खान ने ट्वीट करते हुए मोदी सरकार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर निशाना साधा था। उन्होंने आरोप लगाया था कि यह विधेयक दोनों देशों के बीच हुए समझौते का खिलाफ है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया था, ‘मैं कड़े शब्दों में भारतीय लोकसभा के नागरिकता संशोधन विधेयक की निंदा करता हूं। यह न केवल अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का बल्कि पाकिस्तान के साथ हुए द्वीपक्षीय समझौते का भी उल्लंघन करता है। यह आरएसएस के हिंदू राष्ट्र की योजना का हिस्सा है जिसपर मोदी सरकार काम कर रही है।’

इससे पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए इस विधेयक का विरोध किया था। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा था कि यह विधेयक दोनों देशों की बीच हुए सभी समझौतों का पूरी तरह से उल्लंघन करती है। यह खासतौर से अल्पसंख्यकों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के लिए चिंताजनक है।

बांग्लादेश से हमारा रिश्ता मजबूत

वहीं बांग्लादेश के विदेश मंत्री का भारत यात्रा रद्द करने पर रवीश कुमार ने कहा, उन्होंने अपनी यात्रा रद्द करने पर अपना स्पष्टीकरण दिया है। हमारा रिश्ता मजबूत है। जैसा कि दोनों देशों के नेताओं ने कहा है, यह हमारे संबंधों का स्वर्णिम युग है।

बांग्लादेश के विदेश मंत्री द्वारा नागरिकता संशोधन विधेयक पर की गई टिप्पणी पर कहा, ‘कुछ असमंजस की स्थिति है। हमने उन्हें समझाया कि वर्तमान सरकार में किसी का धार्मिक उत्पीड़न नहीं हो रहा है। बांग्लादेश से भारत में शरण लेने वाले प्रवासियों को सैन्य शासन के दौरान और बांग्लादेश में पिछले सरकार के दौरान धार्मिक आधार पर उत्पीड़न और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा। हमने भी माना है और हम जानते हैं कि बांग्लादेश में वर्तमान सरकार ने अपने संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार अल्पसंख्यकों की चिंताओं को दूर करने के लिए कई कदम उठाए हैं।’

बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा था कि बांग्लादेश में हिंदू अपनी धार्मिक गतिविधियां नहीं कर पाते हैं। उनके इस बयान पर बांग्लादेशी विदेश मंत्री डॉक्टर एके अब्दुल मोमिन ने कड़ा ऐतराज जताया और उन्होंने 12-14 दिसंबर के बीच होने वाली अपनी भारत यात्रा रद्द कर दी।

गृहमंत्री अमित शाह ने नौ दिसंबर को संसद में कहा था कि बांग्लादेश में हिंदू अपनी धार्मिक गतिविधियां नहीं कर पाते हैं। अमित शाह ने लोकसभा में कहा था कि 1947 में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की संख्या 22 फीसदी थी और 2011 में यह कम होकर 7.8 फीसदी रह गई जबकि बांग्लादेश 1971 में बना, 1947 से 1971 के बीच वो पूर्वी पाकिस्तान था। उन्होंने ये भी कहा कि 1971 में बांग्लादेश को संविधान में धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र माना गया था लेकिन उसके बाद 1977 में राज्य का धर्म इस्लाम माना गया।

18 दिसंबर को अमेरिका के साथ वार्ता

विदेश मंत्रालय ने बताया कि वाशिंगटन डीसी में 18 दिसंबर को भारत और अमेरिका के बीच टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता होगी। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर अमेरिका जाएंगे। वे वहां अपने अमेरिकी समकक्षों से मिलेंगे और विदेश नीति,रक्षा और सुरक्षा मुद्दों पर भारत-अमेरिका संबंधों में एक व्यापक समीक्षा करेंगे।

गुवाहाटी से बाहर होगा शिखर सम्मेलन

विदेश मंत्रालय ने रिपोर्ट दी कि पीएम मोदी और जापान के पीएम शिंजो अबे के बीच 15-16 दिसंबर को होने शिखर सम्मेलन को गुवाहाटी और इंफाल से बाहर स्थानांतरित किया जाएगा। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि इसके लिए किस शहर को चुना गया है।

गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में इस समय असम में बड़े स्तर पर प्रदर्शन हो रहा है। गुवाहाटी में बुधवार को कर्फ्यू लगा दिया गया था। वहीं गुरुवार को हजारों लोग कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए सड़क पर उतर आए और कई स्थानों पर स्थिति को काबू में करने के लिए पुलिस को गोलियां भी चलानी पड़ी।

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