राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में व्यस्कों से ज्यादा बच्चे, यौन शोषण का शिकार हो रहे हैं। आंकड़े डराने वाले हैं। दिल्ली पुलिस एक नहीं, बल्कि कई बार बच्चों की सुरक्षा के लिए गंभीरता से काम करने का दावा कर चुकी है, मगर अपराध के आंकड़े हर बार उनके दावे की पोल खोल देते हैं। पिछले दो सालों की बात करें, तो बच्चों के साथ होने वाली यौन हिंसा की घटनाओं में 17 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
बढ़ रहे हैं बच्चियों के अपहरण के मामले
डीसीपी मंदीप सिंह रंधावा के अनुसार, बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन शोषण के मामलों में पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया जाता है। इसके तहत आरोपी को ज्यादा सजा मिलती है। ऐसे मामलों की जांच एक तय समय के भीतर पूरी की जाती है। इसके बाद अदालत भी तय समय सीमा में ही मामले की सुनवाई पूरी कर दोषी को सजा देती है। पॉक्सो एक्ट में न केवल दोषी, बल्कि उन लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई होती है, जो जानकारी होने के बावजूद ऐसे मामलों को छुपाते हैं। इस तरह के अपराध रोकने के लिए पुलिस लगातार जागरूकता अभियान चलाती है।
बच्चों के साथ होने वाले अपराधों बाबत अभिभावकों को सचेत करने के लिए जागरूकता शिविर लगाए जाते हैं। दिल्ली पुलिस ने निर्भीक कार्यक्रम के तहत स्कूलों में जाकर बच्चों को इस एक्ट से संबंधित जानकारी दी हैं। बच्चों को बताया जाता है कि ‘गुड और बैड टच’ में क्या फर्क होता है। इसके अलावा पुलिस ने कई स्कूलों में कंप्लेंट बॉक्स लगाए हैं, जहां पर बच्चे अपनी शिकायत सीधा डाल सकते हैं। डीसीपी मंदीप सिंह रंधावा बताते हैं कि ऐसे मामलों में जल्द से जल्द सजा करवाने के लिए दो महीने के भीतर पुलिस आरोप पत्र तैयार कर उसे अदालत में दाखिल करती है। यही वजह है कि अपराधियों को सजा दिलवाने के प्रतिशत में भी काफी सुधार हुआ है।