CG का पहला एथेनाल प्लांट जून में ही, प्रदूषण कम करने में कारगर

रायपुर
छत्तीसगढ़ का पहला एथेनाल प्लांट इसी महीने के आखिरी सप्ताह में शुरू हो जाएगा। विशेषज्ञों ने इसके टेस्टिंग स्टेज शुरू कर दिया है। कवर्धा के भोरमदेव कारखाने के पास से लगे इस प्लांट से फिलहाल धान से नहीं गन्ने से शुरू होगा। इससे रोजाना 80 किलोलीटर एथेनाल निकलेगा। प्रदेश में धान से एथेनाल निकालने के लिए तैयारी है मगर अभी तक भारत सरकार से अनुमति नहीं मिल पाई है।

मुख्यमंत्री के निर्देश पर कवर्धा में लग रहा प्लांट, परीक्षण के स्टेज पर पहुंचा काम

जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप प्रदेश में करीब 20 निजी कंपनियों ने भी इस प्लांट को लगाने की कवायद शुरू कर दी है। 15 जून को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तेलंगाना के किसानों से बातचीत में कहा था कि धान से एथेनाल बनाने के लिए अनुमति देने के संबंध में हमने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है यदि अनुमति मिलती है तो प्रदेश के किसानों को धान का और भी ज्यादा मूल्य प्राप्त होगा। प्रदेश में धान से एथेनाल बनेगा तो यह छत्तीसगढ़ में प्रदूषण को कम करने के लिए कारगर होगा।

एथेनाल के उत्पादन से प्रदूषण होगा ऐसे कम

देश के माने जाने एल्कोहल टेक्नोलाजिस्ट डा. बीबी गुंजल कहते हैं कि एथेनाल जैव ईंधन है इसका लोगों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसे जब पेट्रोल में मिलाया जाता है तो यह पेट्रोल की आक्सीडेशन कैपेसिटी को बढ़ा देता है। जिससे कि कार्बन डाइआक्साइड का एमिशन यानी प्रदूषण कम हो जाता है।

पेट्रोल की खपत कम होगी और ईधन बचेगा साथ में हमारा पर्यावरण भी संतुलित रहेगा। इसमें गैसोलीन से ज्यादा आक्टेन नंबर होता है। जितना ज्यादा आक्टेन नंबर, पेट्रोल उतना बढ़िया माना जाता है। इसलिए एथेनाल मिलाने से पेट्रोल का आक्टेन नंबर भी बढ़ जाता है। एथेनाल में पानी और आक्सीजन भी होता, जो इसे बढ़िया विकल्प बनाता है। गाड़ी के इंजन में हवा और फ्यूल का संतुलन जितना बढ़िया होगा, फ्यूल उतना कम प्रयोग होगा।

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