नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को लेकर देशभर में हंगामा मचा हुआ है। कई राज्यों में लोग इस कानून को लेकर केंद्र सरकार का विरोध कर रहे हैं। इसी बीच मोदी सरकार ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की तरफ अपने कदम बढ़ा दिए हैं। इस प्रक्रिया के लिए गृह मंत्रालय ने कैबिनेट से 3,941 करोड़ रुपयों की मांग की है। एनपीआर का मकसद देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना है। इस डेटा में जनसांख्यिंकी के साथ बायोमेट्रिक जानकारी भी होगी।
हालांकि सरकार की राह आसान नहीं होगी क्योंकि जिस तरह गैर-भाजपा शासित राज्य सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) और एनआरसी का विरोध कर रहे हैं वह एनपीआर प्रक्रिया की राह में रोड़े अटकाएंगे। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बाद केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने एनपीआर पर जारी काम को रोक दिया है। केरल के मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि सरकार ने एनपीआर को स्थगित करने का फैसला लिया है। ऐसी आशंका है कि इसके जरिए एनआरसी लागू की जाएगी।
सरकार ने शुक्रवार शाम को एक बयान जारी करते हुए एनपीआर से संबंधित सभी गतिविधियों पर रोक लगाने का आदेश दिया है। बयान में कहा गया है, ‘आम जनता के बीच नागरकिता संशोधन कानून को लेकर जारी आशंकाओं को देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि एनपीआर को एनआरसी से जोड़ा जा सकता है, इसलिए राज्य सरकार प्रदेश में एनपीआर से संबंधित सभी गतिविधियों पर रोक लगाती है।’ इस आदेश को सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव केआर ज्योतिलाल ने जारी किया है।