पांचवी अनुसूची और पेसा कानून को अनुपालन कराने के लिए नगर पंचायत बस्तर अध्यक्ष डोमाय मौर्य चुना

बस्तर जिला के नगर पंचायत बस्तर में निर्दलीय पार्षदों का दबदबा रहा है , इसमें दोनों राष्ट्रीय पार्टी बीजेपी, कांग्रेस को बहुमत नहीं मिल पाया । गांव वाले ने नगर पंचायत बस्तर को पुनः ग्राम पंचायत बनाने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी धरना दिया था । लेकिन दोनों राष्ट्रीय पार्टी ने ग्रामवासियों की मुख्य मांग पांचवी अनुसूची, पेसा एक्ट व वनाधिकार ,ग्रामसभा को अनदेखा करते हुए नगर पंचायत बस्तर में अपना-अपना प्रत्याशी उतारा लेकिन नगर पंचायत के आदिवासी नेताओं ने अपने जल ,जंगल ,जमीन के साथ संविधान हक अधिकार की लड़ाई के लिए नगर पंचायत बस्तर में लड़ाई शुरू कर दिया था जिसमें मुख्य मांग पांचवी अनुसूची का पालन कराने को लेकर और पेशा कानून 1996 को गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए आदिवासी नेताओं व ग्रामवासियों ने खुद निर्दलीय होकर लड़ कर अपना जल, जंगल ,जमीन बचाने का निर्णय लिया गया। कुल 12 सीटों पर लड़कर 8 सीटें निर्दलीय कब्जा कर लिया और नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए श्रीमती डोमाय मौर्य को अध्यक्ष के रूप में चुना गया डोमाय मौर्य ने का कहा कि मैं इसलिए चुन के भेजे हैं क्योंकि जमीनी स्तर पर पांचवी ,अनुसूची पेशा कानून को जन-जन तक पहुचाने के लिए हमें सभी निर्दलीय पार्षदों को चुना है। राष्ट्रीय पार्टियों को नकारते हुए 5 कांग्रेस और एक बीजेपी को जनादेश दिया गया यह जनादेश राज्य सरकार का विपरीत था ।क्योंकि एक ओर कांग्रेश की जनाधार बढ़ती जा रही थी लेकिन नगर पंचायत बस्तर में कांग्रेश की स्थिति बहुत ही खराब हैं इस जीत को लेकर आदिवासी समाज प्रमुख होने से डोमाय मौर्य को अध्यक्ष बनने की शुभकामनाएं दी है। नगर पंचायत बस्तर की जनादेश पांचवी अनुसूची, पेसा एक्ट व वनाधिकार अधिनियम को दिया गया है।

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