गरियाबंद जिले में एक अलग ही तस्वीर…इस पंचायत के ग्रामीणों ने दूसरी बार चुना निर्विरोध सरपंच और पंच

गरियाबंद। एक ओर जहां चुनाव जीतकर कुर्सी हासिल करने के लिए गला काट प्रतिस्पर्धाएं हो रही है. वहीं दूसरी ओर गरियाबंद जिले में एक अलग ही तस्वीर देखने को मिली. दरअसल देवभोग से 18 किमी दूर मैनपुर विकासखंड के तेतलखूटी पंचायत में ग्रामीणों ने आपसी सहमति से सरपंच और पंच चुना लिया है.

तेतलखूटी पंचायत के ग्रामीणों ने चुनाव में मदभेद, फिजूलखर्ची और विकास में रुकावट को देखते हुए अपनी पंचायत सरकार को निर्विरोध चुना है. गांव के सरपंच और 16 पंचों को निर्विरोध चुनाव हो गया है. सभी पदों के लिए एक-एक नाम तय कर नामंकन भरवाया गया. हालांकि ये कोई पहला मौका नहीं है, जब तेतलखूंटी के ग्रामीणों ने अपनी पंचायत सरकार को निर्विरोध चुना हो, बल्कि 2015 में भी ग्रामीणों ने केशोराम सोरी को निर्विरोध सरपंच चुना था. इस बार भी ग्रामीणों ने केशोराम पर ही भरोसा जताया है.

ग्रामीणों का मानना है कि चुनाव से गांव का माहौल खराब होता है और पैसे की भी बरबादी होती है. हालांकि ग्रामीणों के मनसूबों पर पानी फेरने के लिए इस बार वार्ड 10 के दो लोगों ने चुनाव लड़ने की कोशिश की थीमगर ग्रामीणों ने उनका साथ नहीं दिया और तीसरे व्यक्ति को वार्ड 10 का पंच घोषित कर दिया. सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर गांव में विजय जुलुस भी निकाला है.

ये हैं पंचायत के पंच और सरपंच

तेतलखूटी पंचायत के सरपंच केशोराम सोरी तीसरी बार सरपंच बने और उनकी पत्नी दो बार बन चुकी है. आदिवासी विकासखंड होने के कारण सरपंच का पद आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित होता है. इस पंचायत में 1460 मतदाता है.

वहीं वार्ड नंबर 1. में जामोबाई, 2. परक्षित, 3. हिमान्द्री बघेल, 4. कृश्णा बाई राजपूत, 5. उषा बाई, 6. धुरली बाई, 7. चेतन राम, 8. सूदरे बाई, 9. रोहित,10. भुवन साहू, 11. रजनी साहू, 12. जलती बाई, 13. खिलेन्द्री, 14. उजलसिंह, 15. हीरादी ठाकुर और वार्ड 16 में हेमन्द्री बाई का नाम तय किया गया है.

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