अपराधियों की पहचान करने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए कृत्रिम बुद्धि द्वारा समर्थित फेशियल रिकॉग्निशन सॉफ्टवेयर का बंगलूरू, मनमाड़, भुसावल रेलवे स्टेशनों में परीक्षण चल रहा है। रेलवे अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) का उद्देश्य फेशियल रिकॉग्निशन तकनीक को मौजूदा डेटाबेस जैसे अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और उन अपराधियों की पहचान करने के लिए सिस्टम से जोड़ना है, जो रेलवे स्टेशनों पर घूमते हैं।
यह रियल-टाइम फेश रिकॉग्निशन सॉफ्टवेयर किसी भी ज्ञात अपराधियों का पता चलने पर आरपीएफ कमांड सेंटर को अलर्ट करेगा। अधिकारियों ने बताया कि फेशियल रिकॉग्निशन सॉफ्टवेयर का परीक्षण किए जाने के बाद, इस तकनीक का प्रयोग पूरे रेलवे नेटवर्क पर किया जाएगा। राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर द्वारा जारी एक बयान के अनुसार रेलवे बोर्ड ने निर्भया फंड के तहत 983 स्टेशनों को कवर करने वाले वीडियो सर्विलांस सिस्टम (वीएसएस) के लिए काम करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है।
रेल मंत्रालय के तहत एक मिनीरत्न सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम रेलटेल को वीडियो एनालिटिक्स और फेशियल रिकग्निशन सिस्टम के साथ इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) आधारित वीएसएस प्रदान करने का काम सौंपा गया है। वीएसएस की स्थापना के लिए निर्भया फंड से इस वर्ष भारतीय रेलवे को 250 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।