तिहाड़ जेल नंबर-3 में निर्भया के दोषियों को फांसी देने की तैयारी जारी हैं। माना जा रहा है कि फिलहाल दोषियों को 22 जनवरी की सुबह सात बजे फांसी के फंदे पर लटका दिया जाएगा। हालांकि यदि क्यूरेटिव याचिका और राष्ट्रपति से दया याचिका में कुछ समय लगता है तो फांसी की तारीख आगे बढ़ सकती है। बावजूद इसके तिहाड़ जेल में फांसी की तैयारियां जारी हैं।
जेल अधिकारियों का कहना है कि फांसी पर लटकाने के बाद निर्भयों के दोषियों को आधे घंटे तक फंदे पर लटके रहना दिया जाएगा। मेडिकल ऑफिसर इनकी मौत की पुष्टि करेगा तभी इनको फंदे से उतारा जाएगा। जेल सूत्रों के मुताबिक फांसी का फंदा मुलायम रहे, इसके लिए फंदे को मक्कखन में भिगोया जा रहा है। फंदे को स्टील के बक्से में सुरक्षित रखा जा रहा है।
जेल अधिकारियों के मुताबिक फांसी के समय जेल के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा मेडिकल ऑफिसर और मनोचित्सिक मौके पर मौजूद रहेंगे। दोषियों या किसी अन्य शख्स को फांसी घर में रहने की अनुमति नहीं होगी। जेल का वार्डर फांसी के फंदे तक दोषियों को ले जाएगा। जल्लद दोषियों की टांगों को बांध देगा। मुंह पर कपड़ा पहनाकर फांसी के फंदे को दोषी के गले में डाल दिया जाएगा। मजिस्ट्रेट कागजात देखने के बाद आखिरी बार डेथ वारंट पर साइन करेगा। इसके बाद जेल अधीक्षक के इशारे पर जल्लद फांसी घर में लगे लीवर को हटा देता। जिसके बाद दोषी फंदे पर लटक जाएगा।
मौत की पुष्टि होने के बाद शव को उतारकर उसका पोस्टमार्टम कराया जाएगा। यदि परिवार ने शव लेने के लिए पहले से आवेदन किया होगा तो शव परिवार को सौंप दिया जाएगा। यदि ऐसा नहीं है तो शव को उसके धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा।
जेल सूत्रों के अनुसार फांसी घर में दोषियों को फांसी देने की तैयारी चल रही है। दोषी के करीब डेढ़ गुना वजन के रेत की डमी को फंदे पर लटका देखा जा रहा है। वजन और हाइट के अनुसार डमी को 1.83 मीटर से 2.44 मीटर तक लटकाकर देखा जा रहा है। जेल अधिकारियों का कहना है कि हर दोषी के लिए दो फंदे अतिरिक्त रखे गए हैं। अधिकारियों के मुताबिक हर फांसी के समय नए फंदों का ही इस्तेमाल किया जाता है।
चारों दोषियों के स्वास्थ्य पर जेल प्रशासन की विशेष नजर
फांसी के फंदे पर पहुंचने से पहले निर्भया के दोषी पूरी तरह स्वास्थ्य रहे, तिहाड़ जेल प्रशासन इसका खास ख्याल रख रहा है। सुबह और शाम दोनों समय चारों दोषी अक्षय, विनय, मुकेश और पवन की मेडिकल जांच हो रही है। उनकी मानसिक स्थिति और खानपान पर भी जेल प्रशासन पूरा ख्याल रख रहा है। अक्सर देखा गया है कि डेथ वारंट मिलने के बाद दोषी खाना-पीना कम कर देते हैं। उनके बीमार होने की संभावना ज्यादा रहती है। ऐसे में दोषियों की काउंसलिंग कराकर उनको मानसिक रूप से भी फिट रखने का प्रयास किया जाता है।