गया में पुलिस ने नष्ट की 35.69 एकड़ में लगी अफीम; नक्सल इलाकों में उगाई गई थी नशे की फसल

गया.

बिहार के गया जिले में नक्सलियों के इशारे पर इस बार जमकर अफीम की खेती की जा रही है। हालांकि नक्सल प्रभावित क्षत्रों में अफीम की खेती होना कोई नई बात नहीं है, क्योंकि जानकार बताते हैं कि अफीम की खेती नक्सलियों की अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा है। नक्सली दुर्गम क्षेत्रों में इसकी खेती कर कमाई करते हैं और उससे उनकी अर्थव्यवस्था चलती है। लेकिन इस बार अफीम की खेती कुछ ज्यादा ही हो रही है।

माना जा रहा है कि बिहार में शराबबंदी के बाद अन्य मादक पदार्थों की तस्करी बढ़ी है। अफीम भी उसी रैकेट का एक हिस्सा है। गया के कई इलाकों में पिछले कई दिनों से पुलिस नक्सलियों और मादक पदार्थ के कारोबारियों के खिलाफ ऑपरेशन क्लीन अभियान चला कर अफीम की खेती को नष्ट कर रही है। इस दौरान पुलिस ने दावा किया है कि इस बार करीब 35.69 एकड़ में लगी अफीम की खेती को नष्ट किया गया है। गया के एसएसपी आशीष भारती ने बताया कि पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि शेरघाटी अनुमंडल के डग, खेरा, फतुयादिह, बरहा, चपावर समेत दर्जनों पहाड़ी और जंगली इलाकों में अफीम की खेती हो रही है। इस सूचना के आधार पर नक्सलियों के गढ़ में छापेमारी कर कई एकड़ खेत में लगी अफीम की खेती को नष्ट किया गया है। साथ ही उन्होंने बताया कि पुलिस इस अवैध धंधे में जुड़े लोगों की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी कर रही है।

अफीम की फसल तीन महीने में तैयार होती है और ये समय अफीम की फैसल तैयार होने का ही है। अफीम को फसलों के बीच में लगाया जाता है और इसकी खेती काफी गुप्त तरीके से की जाती है। ताकि किसी की नजर न पड़े। इसके अलावा जिन इलाकों में वाहनों की आवाजाही न हो सके, वहां भी अफीम की खेती की जाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *