प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में एक ऐसा शिव मंदिर स्थित है, जिसकी स्थापना स्वयं भगवान श्री राम ने की थी. इस मंदिर को कोटेश्वर महादेव मंदिर के नाम से पहचाना जाता है. मंदिर की स्थापना की कथा काफी दिलचस्प है. शहर के उत्तर गंगा तट के किनारे पूर्वी तरफ पर शिवकुटी में कोटि शिव मंदिर स्थापित है.
मान्यता है कि वनवास और रावण वध करके वापस आयोध्या लौटते वक़्त भगवान राम ने भारद्वाज मुनि के आश्रम जाकर उनसे आर्शीवाद लिया था. तब भारद्वाज मुनि ने उनसे कहा कि आपने रावण का वध करके पूरी सृष्टि को रावण के अत्याचारों से मुक्त तो कराया है, किन्तु रावण एक विद्वान और कर्मकांडी ब्राह्मण था, जिसका वध करने से आपको ब्रह्म दोष लग गया है. इससे मुक्ति पाने के लिए महर्षि भारद्वाज मुनि ने भगवान राम को कोटि शिव यानी एक करोड़ शिवलिंग की स्थापना करने के लिए कहा था.
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि श्री राम ने भारद्वाज मुनि के आदेश पर गंगा नदी के किनारे कोटि शिव की स्थापना की थी, किन्तु एक करोड़ शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा करने के बाद उनको जगह देने के लिए सभी शिवलिंगों को एक ही शिवलिंग में स्थापित कर दिया था. यह शिवलिंग आज भी उसी जगह पर विद्यमान है और इसे शिवकुटि के नाम से पहचाना जाता है. महाशिवरात्रि, मास शिवरात्रि और सावन के माह के अतिरिक्त माघ मेला, अर्धकुंभ और कुंभ में प्रयागराज आने वाले श्रद्धालु शिवकुटि मंदिर में दर्शन करने अवश्य आते हैं.