दुर्ग : आश्रय स्थल में ठहरे हुए बेसहारा लोगों की निगम के अधिकारीध्कर्मचारी प्रतिदिन कर रहे हैं निगरानी, ताकि न हो इन्हें कोई परेशानी

दुर्ग 5 अप्रैल 2020

आश्रय स्थल में ठहरे हुए बेसहारा लोगों की मॉनिटरिंग प्रतिदिन निगम के अधिकारी/कर्मचारी कर रहे हैं ताकि इन्हें कोई परेशानी न हो, और इसका भी ध्यान रखा जा रहा है कि यहां पर ठहरे हुए लोग कहीं बाहर न जाएं। नगर पालिक निगम भिलाई क्षेत्र अंतर्गत कई ऐसे लोग जो लॉक डाउन के दौरान शहर से बाहर जा नहीं पा रहे हैं, जिनके पास रहने की कोई व्यवस्था नहीं है, कार्य आदि के बंद के दौरान भटके हुए लोग, रास्तों पर फुटपाथ किनारे सोने वाले लोग, ऐसे लोग जो बेघर हैं और खाने की भी कोई व्यवस्था नहीं है इन लोगों को आयुक्त श्री ऋतुराज रघुवंशी के निर्देश पर निगम के आश्रय स्थलों में ठहराया गया है जिन्हें सुबह चाय, नाश्ता, दोपहर को भोजन, शाम को पुनः चाय एवं रात्रि कालीन भोजन की व्यवस्था के लिए राशन सामग्री प्रदाय की गई। इसके अतिरिक्त इन्हें मास्क, साबुन आदि भी प्रदान किया गया है, ठहरे हुए लोगों को सख्त हिदायत दी गई है कि आश्रय स्थलों पर ही रहे और बाहर न निकले, आश्रय स्थल पर रहने के दौरान भी परस्पर दूरी बनाकर रखें तथा किसी भी प्रकार की दिक्कत एवं समस्या होने पर निगम के अधिकारियों को सूचित करें। बेघर लोगों को प्रियदर्शनी परिसर, नेहरू भवन ,आमोद भवन वार्ड 12, वैशाली नगर जोन कार्यालय के परिसर, आकाशगंगा रैन बसेरा व जोन क्रमांक 4 के मंगल भवन खुर्सीपार मे ठहराया गया है और इनके भोजन के लिए समुचित व्यवस्था की गई है। रात्रि में भी निगम के अधिकारी ऐसे लोग जो बेघर है तथा फुटपाथ किनारे, सड़क किनारे, रेलवे स्टेशन के समीप, बस स्टैंड के आसपास या फिर अन्य क्षेत्रों में भूखे और आवास की तलाश में भटक रहे हैं उन लोगों को निगरानी की जा रही है तथा इस प्रकार के लोगों को आश्रय स्थल में सहारा दिया जा रहा है। शहर में कोई व्यक्ति बेसहारा न भटके इसके लिए निगम भिलाई सतत प्रयासरत है। विपत्ति की घड़ी में एवं लॉक डाउन के दौरान कुछ संगठन के लोगों ने भी आश्रय स्थल में ठहरने वाले लोगों की मदद कर रहे है। लॉक डाउन के दौरान बेसहारा एवं बेघर लोग जो आश्रय स्थल में ठहरे हुए हैं की समुचित देखभाल की जा रही है तथा इन्हें कोई परेशानी न हो इसके लिए प्रतिदिन मॉनिटरिंग की जा रही है, आश्रय स्थल में विद्युत, शौचालय, पानी की व्यवस्था का भी निरीक्षण किया जा रहा है। कुछ आश्रय स्थलों में टेलीविजन की व्यवस्था भी की गई है।

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