अम्बिकापुर  : मल्चिंग एवं ड्रिप इरीगेशन तकनीक ने किसानों को किया सब्जी की खेती की ओर अग्रसर

सिंचाई की उन्नत तकनीक का प्रयोग कर किसान कमा रहे मुनाफा

अम्बिकापुर 22 अप्रैल 2020

सरगुजा जिले के किसान अब परम्परागत खेती-किसानी के तरीकों को छोड़कर आधुनिक और उन्नत तकनीक का प्रयोग करना शुरू कर दिए है। यही कारण है कि अब सब्जी की खेती को ज्यादा प्राथमिकता दे रहे है और अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। इससे क्षेत्र के अन्य किसान भी प्रोत्साहित हो रहे हैं और ज्यादा क्षेत्रो में सब्जी की खेती कर रहे हैं।

 

जिले के बतौली विकासखण्ड अंतर्गत वनांचल ग्राम पंचयात बाँसझाल इसका ज्वलंत उदाहरण है। बाँसझाल वैसे तो सुगंधित धान की खेती के लिए जाना जाता है। यहाँ जवाफूल, दुबराज की खेती की जाती है। लेकिन समय, सिंचाई की साधन और मुनाफा को देखते हुए अब किसान सब्जी की खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं। किसान श्री मदन गोपाल ने बताया कि वे पिछले 2 वर्ष से मलिं्चग एवं ड्रिप इरिगेशन तकनीक से करीब तीन एकड में दो सीजन में टमाटर की खेती करते हैं और सालाना करीब 6 लाख रूपए तक की आमदनी प्राप्त हो जाती है। श्री मदनगोपाल बताते हैं कि सिंचाई की उन्नत तकनीक न होने के कारण पहले बहुत कम मात्रा में टमाटर की खेती करते थे लेकिन अब उद्यान विभाग द्वारा 70 प्रतिशत की छूट के साथ ड्रिप इरिगेशन सिस्टम लग जाने से टमाटर का उत्पादन दो सीजन में कर रहे हैं। श्री मदनगोपाल ने बताया कि ग्राम पंचायत बांसाझाल में सबसे पहले उनके द्वारा ही ड्रिप इरिगेशन सिस्टम लगाया गया। अब गांव के अधिकांश लोगों के पास यह सिस्टम उपलब्ध है और टमाटर का उत्पादन बहुतायत मात्रा में किया जा रहा है। श्री मदनगोपाल ने बताया कि कुछ दिन पहले हुई ओलावृष्टि से टमाटर फसल को काफी नुकसान हुआ है। फसल क्षतिपूर्ति के लिए शासन की मदद की जरूरत है। इसी प्रकार किसान श्री सुभित एवं श्री राम कुमार के द्वारा भी ड्रिप इरिगेशन के द्वारा टमाटर की खेती की जा रही है।

उद्यान विभाग के उप संचालक श्री के.एस. पैंकरा ने बताया कि फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए मलिं्चग और कम पानी वाली ड्रिप सिंचाई जैसे तकनीको का प्रचलन सरगुजा जिले के लिए उपयुक्त है। उन्होने बताया कि इस प्रयोग से जड़ों के नीचे मिट्टी की गहरी सतह में होने वाली जल-हानि में 15-16 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है। इसके अलावा, फसल वाष्पीकरण से होने वाली जल-हानि में भी 27-29 प्रतिशत तक की कमी देखने को मिली है। उपसतही ड्रिप सिंचाई से पानी सीधे पौधे के जड़-क्षेत्र में पहुंच जाता है, जिससे जड़ें उसका भरपूर उपयोग कर पाती हैं। इसके साथ ही उर्वरक भी सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंच जाते हैं। भविष्य में मलिं्चग के लिए जैव-विघटित प्लास्टिक का उपयोग पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना अधिक लाभकारी साबित हो सकता है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत शेड नेट लगाने हेतु किसानों को 50 प्रतिशत की छूट दी जाती है। इसी प्रकार सूक्ष्म सिंचाई मिशन के तहत राज्य पोषित योजना के तहत ड्रिप इरिगेशन के लिए दो हेक्टेयर से अधिक भूमि वाले किसानों को 50 प्रतिशत तथा दो हेक्टेयर से कम भूमि वाले किसानों को 70 प्रतिशत तक की छूट प्रावधान है। उन्होने बताया कि सरगुजा जिले में नहरों से सिंचाई की सुविधा कम होने के कारण कम पानी की खपत वाला ड्रिप इरिगेशन सिस्टम उपयुक्त है।

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