कर्नाटक के रायचूर में सरकारी अस्पताल में लापरवाही का मामला सामने आया है। रायचूर में एक गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा के कारण राज्य के दो सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए गई, लेकिन अस्पतालों ने इलाज से इंकार दिया। इसके चलते उसे मजबूरन निजी अस्पताल में जाना पड़ा। जहां उसने अपने बच्चे को जन्म दिया लेकिन वह इसकी खुशी मना पाती, इससे पहले ही उसकी मौत हो गई।
बच्चे के जन्म के बाद महिला को तेज बुखार आना शुरू हुआ, जिससे निजी अस्पताल के डॉक्टरों को लगा कि उसे कोरोना संक्रमण है। डॉक्टरों ने महिला को तीसरे सरकारी अस्पताल में रेफर कर दिया।
मृतक मारिया को प्रसव पीड़ा होने के कारण 13 अप्रैल को रायचूर जिले के मानवी तालुक में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाया गया था। लेकिन उसे स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा सिंधानुर तालुक के एक और सरकारी अस्पताल पीएचसी में भेजा गया। पीएचसी ने कहा कि महिला के मातृत्व कार्ड के अनुसार, वह उच्च जोखिम वाले मरीजों की श्रेणी में थी।
मारिया के पिता मलप्पा ने कहा कि दूसरे अस्पताल ने भी कुछ घंटों बाद इलाज से इनकार कर दिया। एक स्वास्थ्य कर्मचारी ने हमसे यह कहते हुए जाने को कहा कि सिजेरियन डिलिवरी करने के लिए डॉक्टर्स उपलब्ध नहीं हैं। एक नर्स ने कहा कि हमें समय बर्बाद नहीं करना चाहिए क्योंकि मारिया की हालत बहुत नाजुक है।
मारिया को इसके बाद सिंधानुर के वीर गंगाधर अस्पताल में ले जाया गया, जहां उसने अगले दिन बच्चे को जन्म दिया। हालांकि, प्रसव के बाद उसकी हालत बिगड़ती गई और अस्पताल ने उसे पांच दिनों तक बुखार कम नहीं होने पर 19 अप्रैल को रायचूर इंसिटिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) में रेफर कर दिया। अगले दिन रिम्स में मारिया की मौत हो गई।