रायपुर. कोरोना वायरस (Corona Virus) के संक्रमण के फैलने के खतरे को लेकर छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) सरकार ने 13 मार्च 2020 को ही स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए. 14 मार्च को जिम, मल्टीप्लेक्स, सिनेमा घर, मॉल बंद करने के निर्देश जारी कर दिए. राजनीतिक, धार्मिक सभाओं पर भी रोक लगा दी. लेकिन इसके बाद भी विपक्षी दल सरकार की शराब (Liquor) की दुकानें बंद नहीं करने के निर्णय की आलोचना करते रहे. कोरोना को फैलने से रोकने के तमाम निर्णयों के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने आखिरकार 23 मार्च को शराब की दुकानों को बंद करने का निर्णय पहली बार लिया, लेकिन इस निर्णय में 23 से 25 मार्च तक ही शराब की दुकानें बंद करने निर्देश थे. 23 मार्च को ही राज्य की भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) सरकार ने प्रदेश में 31 मार्च तक लॉकडाउन (Lockdown) का ऐलान कर दिया.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 24 मार्च को देशभर में लॉकडाउन का ऐलान किया. इसकी मियाद 14 अप्रैल रखी गई. इसके बाद राज्य सरकार ने 25 से 31 मार्च, 1 अप्रैल से 6 अप्रैल, 7 से 14, 15 से 20 फिर 21 अप्रैल से 3 मई तक शराब की दुकानें बंद रखने के अलग-अलग समय में निर्देश जारी किए. यानी कि साफ था कि सरकार की नीति शुरू से ही लंबे समय तक शराब की दुकानें बंद करने की नहीं थी. लॉकडाउन फेज-3 में केन्द्र सरकार की ढील के बाद आखिरकार 4 मई से राज्य में शराब की दुकानें खोल दी गईं. विपक्षी दल और शराबमुक्ति के लिए काम करने वाले लोग इसका विरोध कर रहे हैं. इनके विरोध के कारणों को जानेंगे, इससे पहले जानते हैं कि शराब बेचने से छत्तीसगढ़ सरकार को क्या लाभ है?
करोंड़ों रुपयों का कारोबार
छत्तीसगढ़ में शराब की दुकानों का संचालन राज्य सरकार के अंग छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कार्पाेरेशन द्वारा संचालित की जा रही हैं. विधानसभा में 5 मार्च 2020 को पेश किए गए एक आंकड़े के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2017-18 में 4054.21 करोड़ रुपयों का राजस्व शराब बेचकर मिला. इसके बाद 2018-19 में 4491.35 करोड़ रुपये और अप्रैल 2019 से जनवरी 2020 तक 4089.91 करोड़ रुपयों का राजस्व सरकार को शराब से मिला. इसके बाद 1 से 15 फरवरी 2020 के बीच राज्य सरकार को 187.85 करोड़ रुपयों का राजस्व मिला. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन में बंदी के बाद 4 मई को शराब की दुकान खोलने के बाद राज्य सरकार को करीब 50 करोड़ रुपयों का राजस्व मिला है.
कोरोना फैलाने की खुली छूट
कोरोना वायरस के फैलने के खतरे के बीच प्रदेश में शराब की दुकानें खोलने के निर्णय का विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह शराब की दुकानों में पहले ही दिन सोशल डिस्टेसिंग व लॉकडाउन के नियमों के खुला उल्लंघन हुआ. सरकार ने शराब की दुकानें खोलकर कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलाने की खुली छूट लोगों को दे दी है. ये स्थिति विस्फोटक है. इस संकट में लोगों के पास वैसे भी पैसे नहीं हैं. शराबी घरों में बर्तन और महिलाओं के गहने बेचेंगे और शराब की दुकानों में उस पैसे को देंगे.’
छत्तीसगढ़ में 15 साल तक मुख्यमंत्री रहे डॉ. रमन कहते हैं- ‘कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के अपने घोषणा पत्र में पूर्ण शराबबंदी का वायदा किया था. 40 दिनों तक प्रदेश में शराब की दुकानें बंद थीं. ये एक अच्छा मौका था कि वो अपने वायदे को पूरा करे, लेकिन वर्तमान सरकार को तो शराब से पता नहीं कितना प्यार है. पैसे किसी व्यक्ति के जीवन से ज्यादा बहुमूल्य नहीं हैं.’
छत्तीसगढ़ में शराब की दुकानों का संचालन राज्य सरकार के अंग छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कार्पाेरेशन द्वारा संचालित की जा रही हैं. विधानसभा में 5 मार्च 2020 को पेश किए गए एक आंकड़े के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2017-18 में 4054.21 करोड़ रुपयों का राजस्व शराब बेचकर मिला. इसके बाद 2018-19 में 4491.35 करोड़ रुपये और अप्रैल 2019 से जनवरी 2020 तक 4089.91 करोड़ रुपयों का राजस्व सरकार को शराब से मिला. इसके बाद 1 से 15 फरवरी 2020 के बीच राज्य सरकार को 187.85 करोड़ रुपयों का राजस्व मिला. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन में बंदी के बाद 4 मई को शराब की दुकान खोलने के बाद राज्य सरकार को करीब 50 करोड़ रुपयों का राजस्व मिला है.
सत्ता का बेशर्म चेहरा
शराबबंदी के लिए छत्तीसगढ़ में तमाम आंदोलनों का नेतृत्व करने वाली ममता शर्मा कहती हैं कि ‘आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए सरकार सामाजिक स्थिति को खराब कर रही है. अगर शराब की बिक्री को सरकार की आय से जोड़कर देखेंगे तो फिर सरकार को चकलाघरों के संचालन समेत हर उस गैरकानूनी कार्यों को लाइसेंस दे देना चाहिए, जिससे समाज को खतरा है. इस भयावह महामारी के फैलने के खतरे के बीच शराब की दुकानों को खोलना सत्ता के बेशर्म चेहरे को दिखाता है.’
केन्द्र की इजाजत पर खुली हैं दुकानें
लॉकडाउन में शराब की दुकानें खुलने के विरोध को लेकर राज्य के आबकारी मंत्री कवासी लखमा कहते हैं- ‘शराब की दुकानें खोलने की इजाजत केन्द्र सरकार ने राज्यों को दी है. केंद्र सरकार ने राजस्व बढ़ाने जहां केंद्रीय कर्मचारियों का डीए और दूसरी चीजों में कटौती की हैं. जबकि राज्य सरकार ने ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है. जो शराब दुकानें खोली भी जा रही हैं, वहां सोशल डिस्टेसिंग के पालन के निर्देश दिए गए हैं. इसके तहत होम डिलीवरी की व्यवस्था भी की गई है.’