केंद्र का राज्यों को इशारा, ‘अब नहीं मिलेगा खुले हाथों से पैसा’, जानिए क्या है इसका मतलब

कोरोना वायरस के लॉकडाउन में केंद्र सरकार अपना खर्च घटाने के लिए कई तरह के उपायों पर विचार कर रही है। सामान्य काल में कई मंत्रालय और विभाग, जिन्हें अपने बजट में से करीब 25 फीसदी खर्च पहली तिमाही में करना होता है, अब उस खर्च में कटौती कर दी गई है।

उस खर्च की सीमा अब 20, 15 और 10 फीसदी की जा रही है। हालांकि यह सीमा परिस्थितियों और मौजूदा संसाधनों के मुताबिक कम या ज्यादा हो सकती है। केंद्र ने अपने खर्च में कटौती के अलावा राज्यों को भी यह इशारा कर दिया है कि वे अपनी विकास योजनाओं पर बहुत सावधानी से खर्च करें।
हो सकता है कि आगे उन्हें पहले की भांति खुले हाथों से पैसा न मिले। संयुक्त योजनाओं के खर्च पर केंद्र और राज्य अपने-अपने तरीके से नजर रखेंगे।
केंद्र सरकार में वित्त विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, हम अपने बहुत से खर्च कम कर रहे हैं। ऐसी ही सलाह राज्यों को भी दी गई है। कोरोना के बाद सभी सरकारों पर आर्थिक दबाव बन गया है। ऐसे में केंद्र सरकार कम प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में खर्च और गैरयोजना व्यय, दोनों को घटा रही है।

व्यय सचिव टीवी सोमनाथन ने विभिन्न मंत्रालयों को पत्र लिखकर यह बात स्पष्ट तौर से कही है कि वे किसी भी योजना के लिए धन जारी करते समय खर्च पर नियंत्रण रखें। इसके लिए बाकायदा एक नियमावली भी जारी की गई है।

इसके अनुसार, धन जारी करते समय यह देखा जाए कि जिन राज्यों को पहले से जो बजट आवंटित किया गया है, क्या वह पूरा खर्च हो गया है। उसके बाद ही नई किश्त जारी की जाए। कोरोना के लॉकडाउन की वजह से अब देश में बहुत सी आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह थम चुकी हैं। कहीं से गैर-कर राजस्व भी नहीं आ रहा है।

केंद्र सरकार के अधिकारी का कहना है कि राज्यों में केंद्र के सहयोग से जिन अहम योजनाओं पर काम चल रहा है, उनके व्यय में किसी तरह की कटौती नहीं होगी। साथ ही राज्यों को यह इशारा भी कर दिया गया है कि केंद्र सरकार प्रायोजित परियोजनाओं में राज्यों के हिस्से का बोझ वहन नहीं करेगी।

इस बाबत सभी केंद्रीय मंत्रालयों एवं विभागों से कहा गया है कि वे राज्यों को फंड जारी करने से पहले उसके विभिन्न पहलुओं पर गौर करें। यह अवश्य देखें कि पहले जारी हुई राशि खर्च हुई है या नहीं।

केंद्र सरकार ने यह बात साफ कर दी है कि इस मामले में राज्यों की जो योजनाएं पहले से स्वीकृत हैं, उनके बजट को लेकर कोई कटौती नहीं की जाएगी। बहुत सी ऐसी योजनाएं हैं, जिनमें खर्च का कुछ हिस्सा केंद्र वहन करता है।

ऐसे मामले में यदि कोई राज्य सरकार केंद्र द्वारा जारी राशि तय समय पर खर्च पर खर्च नहीं कर पाती हैं तो उस हिस्से का वित्तपोषण नहीं होगा। ऐसी कोई योजना, जो केंद्र द्वारा प्रायोजित है, उसमें केंद्र सरकार प्रदेश के हिस्से का बोझ नहीं उठाएगी।

उस बाबत अपना हिस्सा राज्य को ही देना होगा। लॉकडाउन के बाद केंद्र सरकार के बहुत से विभागों में कम प्राथमिकता वाले खर्च कम किए जा रहे हैं। साथ ही, गैर योजना व्यय भी घटाया जा रहा है।

 

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