एक लाख बीस हजार रूपए से ज्यादा का धान उत्पादित कर रहा परिवार
कोरिया, दिनांक 30/5/2020
जीवन मे मेहनती आदमी खुद की मेहनत से ही पर्याप्त कमाकर चैन की दो रोटी खा सकता है और उसे अगर संसाधन मिल जाएं तो वह स्थिर जीवन शैली की ओर आगे बढ़ने लगता है। यह स्थिति उसके पारिवारिक स्थायित्व की होती है जहां विपरीत परिस्थितियों के बाद भी वह निश्चिंत होकर अपना जीवन यापन करता रहता है। एैसा ही उदाहरण है खड़गंवा के सुदूर गांव में रहने वाले वनवासी श्री पुरूषोत्तम के पुत्र रामसिंह का पूरा परिवार। अपनी मेहनत पर भरोसा रखने वाले इस परिवार के पास मात्र छ एकड़ असिंचित भूमि थी। जिसमें बारिश पर आधारित थोड़ी सी धान की फसल होती थी। उन परिस्थितियों के परे आज इनका परिवार एक लाख 20 हजार की धान बेचने के बाद दस हजार रूपए से ज्यादा की मछली पकड़कर बेच चुका है। साथ ही लाकडाउन के दौरान आर्थिक संकट या काम की कमी से दूर निश्चिंत होकर अपना जीवन यापन कर रहा है। यह एक एैसी कहानी है जो बड़े शहरों से बेरोजगार होकर सड़कों पर अपने घरों को लौटते बहुत से किसानों के लिए सबक हो सकती है।
कोरिया जिले के जनपद पंचायत खड़गंवा के ग्राम पंचायत पेण्ड्री में निवासरत श्री रामसिंह को लाकडाउन संकट से कोई मतलब नहीं है। वह अपने डबरी में मछली पकड़ने में व्यस्त हैं। देश में बढ़ती वैश्विक महामारी के प्रकोप से जहां बड़े शहरों में बेरोजगारी की मार के कारण अकुशल श्रमिक और अर्द्धकुशल श्रमिक पलायन का दंश झेलकर अपने गांवों में वापस लौटने को मजबूर हो रहे हैं। वहीं दूरस्थ वनांचलों में रहने वाले वनवासी अपने स्थायी आजीविका के साथ सामान्य ढंग से समय व्यतीत कर रहे हैं। ग्राम पंचायत पेण्ड्री निवासी श्री रामसिंह ने बताया कि आज से तीन साल पहले तक गांव में महात्मा गांधी नरेगा या फिर दूसरे के खेतों में काम करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। छ एकड़ खेतों में बारिश पर आधारित खेती के बाद उनके पास उतना ही अनाज हो पाता था कि किसी तरह पूरे साल भर उनका परिवार चावल का जुगाड़ कर सके। सबसे बड़ी परेशानी यह थी कि पूरा परिवार अगली बरसात आते तक काम की तलाश में परेशान रहता था। इस दौरान महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत गांव में ही काम की सूची बनाने के लिए युवाओं का दल आया। जीपीडीपी वाले इस दल ने उनके खेतों की बनावट के अनुसार एक बहरा खेत को डबरी बनाकर उसमें पानी रोकने का सुझाव दिया।
पानी की किल्लत से जूझ रहे रामसिंह के परिवार ने तुरंत ही अपनी सहमति दे दी। ग्राम पंचायत की कार्ययोजना के अनुसार रामसिंह के पिता श्री पुरूषोत्तम के खेतों में एक लाख 60 हजार रूपए की डबरी का निर्माण ग्राम पंचायत द्वारा कराया गया। तीन सप्ताह चले इस कार्य के दौरान रामसिंह के परिवार के सदस्यों ने अकुशल श्रम करके लगभग 14 हजार रूपए की मजदूरी भी प्राप्त की। इसके बाद इनके परिवार की एक बड़ी समस्या का आसानी से निदान हो गया। बड़े से खेत में डबरी पहली बरसात से ही भर गई और इनको उसी साल गेंहू की अच्छी फसल लगाने का अवसर मिल गया। इसके बाद गत वर्ष से यह परिवार लाख रूपए की धान बेचकर आर्थिक रूप से मजबूत हो रहा है। रामसिंह ने बताया कि इस साल उन्होने साल भर खाने का अनाज रखने के बाद कुल एक लाख बीस हजार रूपए की धान सहकारी समिति मे बेची है। साथ ही पांच क्विंटल गेंहू का भी उत्पादन किया है। रायसिंह ने खड़गंवा के ही आमाडांड से चार सौ रूपए की दर से तीन किलो मछली बीज लेकर अपनी डबरी में डाले थे। इससे अब तक वह 12 हजार रूपए से ज्यादा की मछली भी लाकडाउन के बीते दो माह में घर बैठै ही बेच चुके हैं। महात्मा गांधी नरेगा की एक छोटी सी डबरी ने ही परिवार को आर्थिक मजबूती के साथ कठिनाई से लड़ने का साधन दे दिया है। यह परिवार एक संसाधन की मदद से अब पूरी तरह से निश्चिंत होकर अपना जीवनयापन कर रहा है।