प्रिय पाठको,
आज से एक नई श्रृंखला चालू कर रहा हूँ, जिसमे मैं हर सप्ताह एक लेख द्वारा आपको मैैं नौ रत्नो मे से एक रत्न की पूरी जानकारी दूंगा ।
सर्वप्रथम कुंडली का सर्वाधिक शुभ माने जाने वाले ‘गुरु ग्रह’ से शुरुआत करते है, इनका रत्न ‘पुखराज’ माना गया है, तो आज हम इस रत्न की विशेषताओ और जानकारियो के विषय मे समझते है।
आइए जानते हैं किन किन स्थितियों में और क्यों पुखराज पहनना चाहिए, पुखराज पहनने से हम उनके विशेष लाभ को कैसे प्राप्त कर सकते है– पुखराज गुरु का विशेष रत्न माना गया है। जब किसी की कुंडली में गुरु ग्रह कमजोर अवस्था में होता है अथवा किसी कारणवश पीड़ित हो जाने के कारण अपना शुभ फल दे पाने में असमर्थ रहता है, तो उस स्थिति में गुरु ग्रह को मजबूत कर उससे शुभ फल प्राप्त करने हेतु पुखराज धारण किया जाता है। गुरु ग्रह को धन का कारक, ज्ञान का कारक व संतान का कारक माना जाता है अतः धन प्राप्ति हेतु, ज्ञान प्राप्ति हेतु तथा संतान प्राप्ति हेतु, पुखराज का धारण करने से लाभ की प्राप्ति होती है।
गुरु को विवाह का कारक ग्रह भी माना जाता है, जिस जातक के विवाह में अड़चनें आ रही हो, बाधा आ रही हो, तो उसे गुरु ग्रह का रत्न पुखराज धारण करना चाहिए, जिससे उनका विवाह शीघ्र-अतिशीघ्र हो जाता है। यदि किसी जातक का विद्या अर्जन में मन नहीं लग रहा हो और गुरु की प्लेसमेंट अच्छी हो तो पुखराज पहनने से विद्या अर्जन में आ रही परेशानियों से निजात पाया जा सकता है। गुरु ग्रह को संतान का कारक ग्रह भी माना गया है अतः संतान प्राप्ति हेतु भी पुखराज धारण करना विशेष फलदायक माना गया है।
ज्योतिष शास्त्र में गुरु ग्रह को सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं शुभ ग्रह की संज्ञा प्रदान की गई है, कुंडली में गुरु ग्रह की शुभ स्थिति रहने पर उच्च पद प्राप्ति हेतु भी पुखराज धारण किया जाता है ।
इन सबके अलावा राजनीति में भी गुरु ग्रह के महत्व को नकारा नहीं जा सकता मंत्री पद दिलाने में गुरु का बली होना आवश्यक माना गया है । बिना गुरु ग्रह के व्यक्ति को मंत्री पद की प्राप्ति असंभव है अतः पुखराज धारण कर राजनीतिक व्यक्ति को भी सफलता प्राप्त हो सकती है। गुरु ग्रह की मजबूत स्थिति हमें सरकार के सभी उच्च पदों पर आसीन करती है पुखराज धारण करने से उच्च पदों की प्राप्ति भी संभव हो सकती हैं।
हमें हमेशा यह ध्यान देने की आवश्यकता है की हम जब भी रत्न धारण करें तो ग्रह नीच राशि में अथवा शत्रु राशि में अथवा त्रिक भाव में बैठा नहीं होना चाहिए इसका ध्यान देना अत्यंत ही आवश्यक है अन्यथा इन स्थितियों में बैठे ग्रह का रत्न धारण करने से हमें विपरीत फल देेेेता है।
अंत में मैं इतना ही कहना चाहूंगा की जिनकी कुंडली में गुरु ग्रह शुभ अवस्था या फलदायक स्थिति में भी हो तो उन्हें पुखराज अवश्य धारण करना चाहिए जिससे वह गुरु ग्रह के समस्त शुभ फलों का फल प्राप्त कर सके।
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Astro Raju chhabra(devendre singh)
“”Kundli specialist”” Falit jyotish
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