धीरेंद्र शास्त्री ने संत प्रेमानंद की पदयात्रा का समर्थन करते हुए विरोध करने वालों को ‘राक्षस’ की संज्ञा दी

मथुरा
संत प्रेमानंद की रात्रिकालीन पदयात्रा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने के बाद से इंटरनेट मीडिया पर समर्थकों और विरोधियों के बीच तीखी बहस शुरू हो गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पदयात्रा का विरोध नहीं किया गया था, बल्कि विरोध का कारण रात दो बजे बैंडबाजा, ढोल और आतिशबाजी के शोर थे। इस शोर को रोकने के लिए संत प्रेमानंद से अपील की गई थी। जब संत प्रेमानंद ने पदयात्रा को स्थगित कर दिया, तो उनके समर्थन में कई धर्माचार्य सामने आए, जिनमें बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र शास्त्री भी शामिल हैं।

धीरेंद्र शास्त्री का विवादित बयान
आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने संत प्रेमानंद की पदयात्रा का समर्थन करते हुए विरोध करने वालों को 'राक्षस' की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि जो लोग इस पदयात्रा का विरोध कर रहे हैं, वे शुद्ध रूप से मानव नहीं हो सकते। इसके बाद इंटरनेट मीडिया पर आचार्य शास्त्री को लेकर तीखी आलोचनाएं हो रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों को भजन-कीर्तन से समस्या होती है, वे वृंदावन छोड़कर दिल्ली जा सकते हैं। उनका यह बयान स्थानीय लोगों में आक्रोश का कारण बन गया है।

स्थानीय लोगों का विरोध
स्थानीय लोग यह स्पष्ट कर रहे हैं कि उनका विरोध पदयात्रा से नहीं था, बल्कि शोर-शराबे से था। वे चाहते थे कि रात के समय होने वाले ध्वनि प्रदूषण को रोका जाए। महिलाओं ने संत प्रेमानंद से अपील की थी कि ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित किया जाए, लेकिन कुछ अनुयायियों ने उनके खिलाफ अभद्र टिप्पणियां की। अब, आचार्य धीरेंद्र शास्त्री के बयान के बाद विरोध और बढ़ गया है।

महिलाओं ने किया विरोध
स्थानीय महिलाओं ने आचार्य धीरेंद्र शास्त्री के बयान की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि यह महिलाओं के सम्मान और ब्रज वृंदावन की साधना परंपरा के खिलाफ है। वे शास्त्री के बयान को गलत मानते हुए अब आंदोलन की योजना बना रहे हैं। इस पूरे विवाद ने अब एक नई दिशा ले ली है, और यह देखते हुए आने वाले दिनों में स्थिति और भी तनावपूर्ण हो सकती है।

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