भाजपा के लिए बिहार में नीतीश कुमार क्यों हैं जरूरी, महाराष्ट्र जैसी नहीं स्थिति

पटना

हरियाणा, महाराष्ट्र और अब दिल्ली की बड़ी जीत के बाद भाजपा ने बिहार की चुनावी जंग की तैयारी शुरू कर दी है। यहां भाजपा और जेडीयू गठबंधन में साथ-साथ चुनाव लड़ने वाली है। भाजपा ने 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए नीतीश कुमार को गठबंधन का नेता मान लिया है।

एक वरिष्ठ नेता ने साफ किया कि वहां पर नीतीश कुमार को ही फिर से मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। राज्य के सामाजिक, जातीय और राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए भाजपा मजबूत एनडीए के साथ चुनाव लड़ना चाहती है।

भाजपा ने दिल्ली में दो सीटें जद(यू) और लोजपा(रामविलास) को देकर साफ कर दिया था कि जीत या हार जो भी हो वह बिहार में अपने सहयोगी दलों को पूरी तरह से साथ रखेगी। दिल्ली के नतीजों के बाद बिहार के एनडीए सांसदों ने प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर इसे और मजबूत किया था। जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को लेकर लग रही अटकलों को भाजपा नेतृत्व ने खारिज कर दिया और कहा है कि एनडीए एकजुट है।

सरकार में अहम हिस्सेदारी भाजपा के पास ही रहेगी

कि भाजपा बिहार में एक बार फिर ज्यादा सीटों लड़ने के बावजूद जद(यू) नेता नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री बरकरार रखेगी, भले ही इस बार भी उसके ज्यादा विधायक जीतें। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि बिहार की स्थितियां अभी ऐसी नहीं है कि भाजपा अकेले लड़े और अपना मुख्यमंत्री बनाए। यहां स्थितियां महाराष्ट्र से अलग हैं। वहां भाजपा अब बड़े भाई की भूमिका में रहेगी, लेकिन बिहार में संख्या से ज्यादा अहम सामाजिक और राजनीतिक स्थितियां हैं, जिनमें उसे अभी छोटे भाई के रूप में ही रहना पड़ेगा।

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