रांची।
तेलंगाना में शनिवार को श्रीशैलम सुरंग नहर परियोजना के निर्माणाधीन खंड की छत का एक हिस्सा ढह जाने से करीब 14 किलोमीटर अंदर आठ श्रमिक फंस गए हैं। उनमें से कई झारखंड के हैं। इस बीच खबर है कि बचाव दल के कर्मी उस जगह के काफी नजदीक पहुंच गये हैं।
एसएलबीसी सुरंग ढहने पर झारखंड के मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने कहा, 'मैं तेलंगाना में सचिव से लगातार संपर्क में हूं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी से बात की है। जानकारी के अनुसार झारखंड के चार से पांच मजदूर वहां फंसे हैं। मैं स्थिति पर नजर रख रहा हूं।' इस बीच तेलंगाना में नागरकुरनूल के जिला कलेक्टर बी. संतोष ने बताया कि बचाव दल के कर्मी उस स्थान पर पहुंच गए हैं, जहां घटना के दौरान सुरंग खोदने वाली मशीन (टीबीएम) काम कर रही थी। हालांकि, गाद के कारण आगे बढ़ना एक चुनौती है। बचाव अभियान की निगरानी कर रहे कलेक्टर ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की चार टीमें (एक हैदराबाद से और तीन विजयवाड़ा से) (जिनमें 138 सदस्य हैं) सेना के 24 कर्मी, एसडीआरएफ के कर्मी, एससीसीएल के 23 सदस्य उपकरणों के साथ बचाव अभियान में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि सुरंग में ऑक्सीजन और बिजली की आपूर्ति उपलब्ध करा दी गई है तथा जल निकासी और गाद निकालने का कार्य भी चल रहा है। संतोष ने कहा, 'अभी तक हमारा उनसे (फंसे हुए लोगों से) संपर्क नहीं हो पाया है। बचावकर्मी अंदर जाकर देखेंगे और फिर हम कुछ बता पाएंगे।' एनडीआरएफ के एक अधिकारी ने एक टीवी चैनल को बताया कि कल रात एक टीम सुरंग के अंदर गई थी। वहां बहुत सारा मलबा है और टीबीएम भी क्षतिग्रस्त है और उसके हिस्से अंदर बिखरे पड़े हैं। उन्होंने कहा कि 13.5 किलोमीटर के बिंदु से ठीक पहले दो किलोमीटर पर जलभराव है। यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य है और इस कारण हमारे भारी उपकरण अंतिम बिंदु तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। जल निकासी का काम पूरा करना होगा, जिससे उपकरण आगे तक पहुंच सकें। इसके बाद ही मलबा हटाने का काम शुरू हो सकता है। पानी निकालने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए अतिरिक्त मोटरों का इस्तेमाल किया गया है।
कलेक्टर ने बताया कि 13.5 किलोमीटर दूर पहुंचने के बाद टीम ने फंसे हुए लोगों को बुलाया, लेकिन उनसे कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने बताया कि इस बिंदु के बाद अब भी 200 मीटर का हिस्सा है और उनके पास पहुंचने के बाद ही स्थिति का पता चल पाएगा।