जयपुर
पशुपालन विभाग द्वारा पशु चिकित्सा अधिकारियों को जहर से पशुओं की मौत और जहर के फॉरेंसिक पहलुओं के साथ—साथ डीएनए फिंगर प्रिटिंग और पशुपालन मामलों के बारे में जानकारी देने के उद्देश्य से आयोजित दो दिवसीय पुनश्चर्या प्रशिक्षण कार्यक्रम मंगलवार को संपन्न हुआ। प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रदेश के 100 पशु चिकित्सकों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम के आयोजन में राज्य फॉरेंसिक विज्ञान संस्थान तथा वन विभाग की भी सहभागिता रही। भारत सरकार की असिस्टेंस टू स्टेट्स फॉर कंट्रोल ऑफ एनिमल डिजीज (एस्केड) योजना के अंतर्गत आयोजित दो दिवसीय इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के चार बैचों में कुल 400 पशु चिकित्सा अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पशु चिकित्सकों को संबोधित करते हुए विभाग के निदेशक डॉ. आनंद सेजरा ने कहा कि विभाग के अधिकारियों के क्षमतावर्द्धन के लिए इस तरह के पुनश्चर्या प्रशिक्षण के कार्यक्रम बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इस तरह के आयोजनों से हमें नई जानकारियां तो मिलती ही हैं साथ ही कई्र ऐसी बातें जो हम जानते हैं पर उपयोग में न आने के कारण हम उन्हें भूल जाते हैं वे बातें भी हमें रिकॉल हो जाती हैं। कई बार किसी दुर्घटना में पशु की मौत हो जाने पर कानूनी मामला बन जाता है ऐसे में पशु चिकित्सा के साथ साथ हमें इसके कानूनी पहलुओं की जानकारी होना भी आवश्यक है।
उल्लेखनीय है कि एस्केड योजना का मुख्य उद्देश्य प्रमुख रोगों की रोकथाम व नियंत्रण हेतु टीकाकरण, टीका उत्पादन तथा रोग निदान की सुविधाएं पशुपालकों को उपलब्ध कराकर उन्हें आर्थिक हानि से बचाना है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में पशुओं के दुर्घटना के दौरान सैंपल लेने, पोस्टमार्टम में ली जाने वाली सावधानियां, कोर्ट में प्रमाण पेश करते समय ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण बिंदुओं जैसे विषयों पर राज्य फॉरेंसिक विज्ञान संस्थान तथा वन विभाग के साथ पशुपालन विभाग के विशेषज्ञ विभिन्न सत्रों में अपने अपने विचार रखेंगे और प्रशिक्षणार्थियों के सवालों के जवाब देंगे।