रायपुर. गणेश पक्ष के खत्म होते ही पितृपक्ष या श्राद्धपक्ष की शुरुआत हो जाती है। श्राद्धपक्ष के समापन के अगले दिन से ही क्वांर नवरात्रि की शुरुआत भी हो जाती है, लेकिन 2020 में इस बार अलग होने वाला है। वर्ष 2020 में श्राद्धपक्ष के खत्म होते ही अधिकमास लग जाएगा, जिसके कारण इस बार श्राद्धपक्ष के ठीक एक महीने बाद ही नवरात्रि शुरू होगी। अधिकमास लगने से नवरात्र और पितृपक्ष के बीच एक महीने का अंतर आ जाएगा। आश्विन मास में मलमास लगना और एक महीने के अंतर पर दुर्गा पूजा आरंभ होना ऐसा संयोग करीब 165 साल बाद होने जा रहा है। लीप वर्ष के कारण हो रहा ऐसा श्री सुरेश्वर महादेव पीठ के स्वामी राजेश्वरानंद बताते हैं, लीप वर्ष होने के कारण ऐसा हो रहा है। चातुर्मास जो हमेशा चार महीने का होता है, इस बार पांच महीने का है। ज्योतिष के अनुसार 165 साल बाद लीप ईयर और अधिकमास दोनों ही एक साल में हो रहे हैं। चातुर्मास लगने से विवाह, मुंडन, कर्ण छेदन जैसे मांगलिक कार्य नहीं होंगे। इस काल में पूजन पाठ, व्रत उपवास और साधना का विशेष महत्व होता है।
इसलिए माना जाता है मलिन एक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, जबकि एक चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है। ये अंतर हर तीन वर्ष में लगभग एक माह के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को दूर करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अतिरिक्त आता है, जिसे अतिरिक्त होने की वजह से अधिकमास का नाम दिया गया है। अधिकमास को कुछ स्थानों पर मलमास भी कहते हैं। इस पूरे महीने में शुभ कार्य वर्जित होते हैं। इस पूरे माह में सूर्य संक्रांति न होने के कारण यह महीना मलिन मान लिया जाता है। इस कारण लोग इसे मलमास भी कहते हैं। 17 सितंबर को खत्म होगा श्राद्ध पक्ष महामाया मंदिर के पं. मनोज शुक्ला ने बताया, इस साल 17 सितंबर को श्राद्ध पक्ष खत्म होगा। इसके अगले दिन अधिकमास शुरू हो जाएगा, जो 16 अक्टूबर तक चलेगा। इसके बाद 17 अक्टूबर से नवरात्रि व्रत रखे जाएंगे। इसके बाद 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी होगी, जिसके साथ ही चातुर्मास समाप्त होगा। इसके बाद ही शुभ कार्य शुरू होंगे। पंचांग के अनुसार इस साल आश्विन माह का अधिकमास होगा, यानी दो आश्विन मास होंगे। आश्विन मास में श्राद्ध और नवरात्रि, दशहरा जैसे त्योहार होते हैं।