नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र के दौरान प्रश्नकाल को रद्द करने के सरकार के फैसले पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में तलवारें खिंची हुई हैं। विपक्षी दलों के तीखे विरोध के बाद सरकार सीमित प्रश्नकाल कराने पर सहमत हो गई है। विपक्ष का कहना था कि प्रश्नकाल के बिना संसद के सत्र को आयोजित करने का कोई मतलब ही नहीं है। इसके बाद सीमित प्रश्नकाल पर सरकार की ओर से रजामंदी जताई गई।
सरकार चर्चा कराने के लिए तैयार
संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी का कहना है कि विपक्ष के इन आरोपों में कोई दम नहीं है कि सरकार देश के सामने मौजूद महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा से भाग रही है। सरकार हर महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा कराना चाहती है और हम अतारांकित प्रश्न लेने को पूरी तरह तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों को पहले ही इस बाबत बताया गया था और ज्यादातर विपक्षी दलों ने इस पर रजामंदी भी जताई थी। अतारांकित प्रश्न ऐसे होते हैं जिनका मंत्री केवल लिखित जवाब देते हैं जबकि तारांकित प्रश्न में प्रश्न पूछने वाले को मौखिक और लिखित दोनों उत्तरों का विकल्प मिलता है।
कोरोना संकट के कारण संसद का मानसून सत्र इस बार काफी विलंब से शुरू हो रहा है संसद का मानसून सत्र 14 सितंबर से 1 अक्टूबर तक चलेगा। इस सत्र के दौरान प्रश्नकाल स्थगित करने के सरकार के फैसले पर विपक्ष ने सवाल उठाए थे। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सरकार के फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि सरकार को इस बाबत के स्पष्टीकरण देना चाहिए। जब सांसद सवाल ही नहीं पूछ पाएंगे तो ऐसे सत्र को आयोजित करने का कोई मतलब ही नहीं है।