धमतरी. सरकारी स्कूलों में शिक्षा और शिक्षक का स्तर अक्सर आलोचना का केंद्र रहता है, लेकिन धमतरी का एक शिक्षक ऐसा भी है जिसकी आंखों की रौशनी चली गई है. फिर भी वो ज्ञान का उजाला बांट रहा हैं. प्राइमरी स्कूल के नेत्रहीन शिक्षक हरिशंकर कुर्रे (Harishankar Kurre) न सिर्फ अपने विद्यार्थीयों में लोकप्रिय हैं, बल्कि शिक्षा विभाग भी उनके कर्तव्य परायणता का मुरीद है. धमतरी जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर नगरी इलाके में छिपली गांव है. यहां के माध्यमिक शाला में शिक्षक के पद पर हरिशंकर कुर्रे पदस्थ हैं. ये बच्चों को स्कूल में समाजिक विज्ञान, हिन्दी और विज्ञान के विषय पढ़ाते हैं. इस शिक्षक की खास बात ये है कि ये दोनों आख से देख नहीं पाते. बावजूद इसके ये बच्चों को बेहद ही रोचक अंदाज में पढ़ाते हैं और बच्चे भी इस शिक्षक के पढ़ाने के तरीके को काफी पसंद भी करते हैं
जीवन में कभी नहीं मानी हार
हरिशंकर को अपनी दोनों आंखे नहीं होने का तनिक भी मलाल नहीं है. इनकी ये कमजोरी कभी भी इनके मंजिल के आगे रोडा नहीं बना, ना ही कभी इनका जज्बा और लगन कम हो पाया. दिव्यांग शिक्षक हरिशंकर कुर्रे की मानें तो जीवन के इस पड़ाव में कई बार परेशानी और मुसीबतें आई है, लेकिन इसके बाद भी कभी भी हार नहीं मानी. इसके विपरित पहले के मुकाबले अपने पेशे और हुनर को तरशता रहा है जिससे बच्चों को पढ़ने और समझाने में दिक्कते ना हो. इनके पढ़ाने का अंदाज भी कुछ अलग है. बच्चे पहले इनको पढ़कर सुनाते हैं. इसके बाद दिव्यांग शिक्षक बच्चों को बेहद रोचक अंदाज से समझाते हैं. वहीं शिक्षक हरिशंकर का कहना है कि इंसान को हर परिस्थितियों का डटकर सामना करना चाहिए, ना की किसी परेशानी के चलते अपना पैर पीछे खीच लेना चाहिए. हरिशंकर कुर्रे का एक आंख जन्म से ही खराब था और दूसरा उस वक्त खराब हुआ जब ये कक्षा आठवीं में पढ़ रहे थे. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और आगे की पढ़ाई जारी रखी.
बच्चों के हैं फेवरेट टीचर
इस दिव्यांग शिक्षक के पढ़ाने के अंदाज से पूरे स्टाफ के teacher और बच्चे भी काफी प्रभावित हैं. बहुत आसानी के साथ बच्चों को ये सब्जेक्ट समझाते है, जिससे पढ़ने वाले बच्चे आसानी से समझ जाते है. स्कूल में सभी लोग इनके हर काम में मदद भी करते हैं जिससे हरिशंकर को ज्यादा परेशानी ना हो. वहीं बच्चे भी अपने इस शिक्षक के व्यवहार और पढ़ाने के अंदाज से काफी खुश रहते हैं. स्कूल में पढ़ने वाली मुक्तेश्वरी और माधवी ने बताया कि हरिशंकर सर के पढ़ाने का अंदाज़ ही बेहद रोचक होता है. वो बच्चों से बेहद प्यार से बात करते हैं.