03 लाख से अधिक बच्चे होंगे लाभवान्वित 23 से 30 सितंबर तक चलेगा राष्ट्रीय कृमि मुक्ति सप्ताह

बैकुंठपुर, (कोरिया)सितंबर 21
कृमि यानि पेट के कीडे बच्चों के स्वास्थ्य और संपूर्ण विकास को नुकसान पहुंचा सकते हैं। पेट के कीड़े बच्चों में कुपोषण की एक वजह है और कुपोषण के कारण शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा पहुँचती है|
राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान 23 सितंबर से 30 सितंबर तक राष्ट्रीय कृमि मुक्ति सप्ताह का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान जिले के चिन्हित बच्चों को मितानिन और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा बच्चों कोकृमिनाशक दवा एलबेंडाजोल की गोली दी जाएगी।
जिला टीकाकरण अधिकारी डां अशोक कुमार सिंह ने बताया: “चिन्हांकित 3.06 लाख बच्चों, किशोर व वयस्कों को कृमिनाशक दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है। इस वर्ष कोरोना संक्रमण को देखते हुए स्कूलों में कृमि नाशक दवा नहीं दी जाएगी। इसलिए मितानिन और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद से गृह भ्रमण के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग नियम का पालन करते हुए दवा दी जाएगी। स्वास्थ्य अधिकारियों ने आम जनता से उक्त स्वास्थ्य सेवा का अधिक से अधिक लाभ लेने अपील की है ।“
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी मनोज खलखो ने बताया,” 01 से 19 वर्षीय बच्चों एवं किशोर-किशोरियों को निःशुल्क एलबेंडाजोल गोली खिलाकर राज्य में कृमि संक्रमण से मुक्ति का प्रयास किया जाता है ।इस अभियान में महिला एवं बाल विकास विभाग की समान भागीदारी होती है । इस वर्ष कृमि मुक्ति दिवस पर एक वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती महिलाओं, और बीमार व्यक्तियों को एलबेंडाजोल की गोली नहीं दी जाएगी।“
सीएमएचओ डां रामेश्वर शर्मा ने राष्ट्रीय कृमि मुक्ति सप्ताह के संबंध में बताया अभियान के दौरान खिलाई जाने वाली एल्बेंडाजोल की गोली बच्चों और बड़ों के लिए सुरक्षित है। पेट के कीड़ों के संक्रमण से बचाने के साथ ही स्वास्थ्य एवं पोषण के स्तर में सुधार लाना दवा का सेवन कराने का मुख्य उद्देश्य है।
कार्यक्रम की है तैयारी
बच्चों को दवाई स्वास्थ्य विभाग की सहयोगी मितानिन और एएनएम के माध्यम से दी जाएगी। 01 से 02 वर्ष तक के बच्चों को आधी गोली (200 एमजी) एलबेंडाजोल तथा 2 से 19 वर्ष तक के बच्चों को एक गोली (400 एमजी) की दवा अभियान के तौर खिलाई जाएंगीं । एल्बेंडाजोल की गोली बच्चों और बड़ों के लिए सुरक्षित है। प्रतिकूल प्रभाव यदि हो तो प्रबंधन के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं उप स्वास्थ्य केन्द्रों पर उपचार की व्यवस्था भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा रहेगी।
प्रदेश में 2015 से यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है ,उस समय प्रीवेलेंट रेट 73 प्रतिशत था जो अब घटकर 13 प्रतिशत हो गया है| रेट को और भी कम करने का प्रयास निरंतर जारी है।

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