क्या चाहता है महिलाओं का ‘मन’……..

महिलाओं को सेक्स से जुड़ी कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं। झिझक की वजह से ज्यादातर वे अपनी दिक्कतें किसी से शेयर नहीं कर पातीं…

महिलाओं को सेक्स से जुड़ी कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं। झिझक की वजह से ज्यादातर वे अपनी दिक्कतें किसी से शेयर नहीं कर पातीं और ताउम्र परेशान रहती हैं। ऐसी ही तमाम दिक्कतों पर डॉ. प्रकाश कोठारी की खास रिपोर्ट:

आम धारणा के उलट महिलाओं को भी पुरुषों की तरह ही सेक्स की इच्छा होती है। सहवास तरीके से पूरा न होने पर उन्हें शारीरिक और मानसिक परेशानी हो सकती है। उन्हें ख्याल और स्पर्श से सेक्स की इच्छा होती है। सेक्स का सेंटर दिमाग में होता है। ख्याल या स्पर्श से जब जोश महसूस होता है तो पूरे शरीर में खून का बहाव बढ़ जाता है। स्त्री जनन अंग में दौरा ज्यादा होता है। इसके बाद ऐसा मुकाम होता है, जहां सुकून का अहसास होता है। इसे ही ऑर्गेज्म, क्लाइमैक्स या चरम सुख कहा जाता है। सेक्स के इस पूरे प्रोसेस को कई महिलाएं इंजॉय नहीं कर पातीं। महिलाओं को सेक्स से जुड़ी नीचे लिखीं दिक्कतें हो सकती हैं

कामेच्छा में कमी- बहुत-सी महिलाओं को सेक्स की चाहत ही नहीं होती। अगर वे पार्टनर के कहने पर तैयार होती हैं तो भी बिल्कुल ऐक्टिव नहीं हो पातीं। बस अपनी ड्यूटी समझकर ‘काम’ निबटा देती हैं। बच्चे होने के बाद यह समस्या ज्यादा होती है।

वजह : डिप्रेशन, थकान या तनाव की वजह से यह दिक्कत हो सकती है। कई बार बचपन की किसी बुरी घटना की वजह से भी सेक्स में दिलचस्पी खत्म हो जाती है। इसके अलावा कुछ और वजहें भी सकती हैं, मसलन पार्टनर जिस तरह छूता है, वह पसंद नहीं आना, उसके शरीर की महक नापसंद होना, उसे बहुत ज्यादा पसीना आना, उसके मुंह से पान-तंबाकू वगैरा की बदबू आना आदि। कई महिलाओं को शरीर के कुछ खास हिस्सों पर हाथ लगाने से दर्द महसूस होता है या अच्छा नहीं लगता। इससे भी वे सेक्स से बचने लगती हैं।

इलाज : पार्टनर को सबसे पहले यह समझना चाहिए कि साथी महिला को क्या पसंद है और क्या नापसंद। उसी के मुताबिक आगे बढ़ना चाहिए। फोरप्ले में ज्यादा वक्त बिताना चाहिए। इससे महिला मानसिक और शारीरिक रूप से अच्छी तरह तैयार हो जाती है। जब एक्साइटमेंट ज्यादा हो, तभी आगे बढ़ना चाहिए। अगर डिप्रेशन की वजह से दिक्कत है तो पहले उसका इलाज कराएं। डिप्रेशन से मुक्त होने पर ही कामेच्छा जागेगी। ‘सेंसेट फोकस एक्सरसाइज’ या ‘प्लेजरिंग सेशन’ से काफी फायदा हो सकता है। इस सेशन में स्पर्श पर सारा फोकस होता है और सहवास की मनाही होती है। इसका तरीका यह है कि बारी-बारी से स्त्री व पुरुष एक-दूसरे को प्यार से सहलाएं और एक-दूसरे के शरीर पर उत्तेजना केंद्र खोजें। दोनों एक-दूसरे को बताएं कि उन्हें कहां अच्छा लगता है। इससे महिलाओं की झिझक भी कम होती है। साथ ही परफॉर्मेंस का प्रेशर नहीं होता। वे कपल जिन्हें कोई दिक्कत नहीं है, वे भी तीन-चार महीनों में अगर एक हफ्ते इस सेशन को करें और सहवास से परहेज रखें तो सेक्स लाइफ को ज्यादा इंजॉय कर सकते हैं।

लुब्रिकेशन की कमी- स्त्री जनन अंग में लुब्रिकेशन (गीलापन) को उत्तेजना का पैमाना माना जाता है। कुछ महिलाओं को इसमें कमी की शिकायत हो सकती है। ऐसे में सहवास काफी तकलीफदेह हो जाता है।

वजह : लुब्रिकेशन में कमी तीन वजहों से हो सकती है। इन्फेक्शन, हार्मोंस में गड़बड़ी या फिर तरीके से फोरप्ले न होना। अगर जनन अंग में खुजली हो, खून आता हो, कपड़े पर धब्बे पड़ जाते हों या बहुत बदबू आती हो तो इन्फेक्शन हो सकता है। हार्मोंस में गड़बड़ी यानी एस्ट्रोजन की कमी आमतौर पर मीनोपॉज के बाद ज्यादा होती है। पार्टनर का महिला की जरूरत न समझ पाना या फोरप्ले में ज्यादा वक्त न गुजारना भी इसकी वजह हो सकती है।

इलाज : अगर इन्फेक्शन है या हॉर्मोंस में गड़बड़ी है तो फौरन अच्छे डॉक्टर को दिखाकर इलाज कराएं। हॉर्मोंस वाली दिक्कत अक्सर मरीज को खुद पता नहीं लगती। डॉक्टर जांच के बाद इसका पता लगा पाते हैं। तीसरी वजह है तो पार्टनर से बातचीत और समझ से प्रॉब्लम दूर की जा सकती है। पार्टनर को फोरप्ले में ज्यादा वक्त देना चाहिए क्योंकि यह बहुत अहम होता है। इसी से सेक्स को सही ढंग से इंजॉय किया जा सकता है।

सहवास में दर्द और वैजिनिस्मस- कुछ महिलाओं को सहवास के दौरान दर्द होता है। कई बार यह दर्द बहुत ज्यादा होता है और ऐसे में महिला सेक्स से बचने लगती है। साथी को इस दर्द का अहसास नहीं होता। उसे लगता है कि साथी महिला उसे सहयोग नहीं दे रही। यह दोनों के बीच झगड़े की वजह बनता है। इस प्रॉब्लम को डिस्परयूनिया (पेनफुल इंटरकोर्स) कहा जाता है। अगर पूरे इलाज या सलाह के बिना संबंध बनाने की कोशिश की जाती है तो प्रॉब्लम और बढ़ जाती है।

वजह : संबंध बनाते वक्त दर्द की वजह लुब्रिकेशन में कमी या सही ढंग से फोरप्ले न होना हो सकता है। कई बार इन्फेक्शन या एंडोमेट्रियोसिस यानी ओवरी में ब्लड जमा होने पर यह प्रॉब्लम हो सकती है। एंडोमेट्रियोसिस के लिए हॉर्मोन थेरपी या फिर जरूरत पड़ने पर लेप्रोस्कोपी भी की जाती है।

वैजिनिस्मस : वैजिनिस्मस का मतलब है किसी बाहरी चीज के स्त्री जनन अंग में जाने का डर। इसमें संभोग की कोशिश या संभावना का आभास मिलते ही महिला जनन अंग के बाहरी एक-तिहाई हिस्से में अनैच्छिक संकुचन आ जाता है। इससे समागम नहीं हो पाता और साथी अगर जबरन कोशिश करता है तो दिक्कत और दर्द दोनों बढ़ जाते हैं।

वजह : इसके मानसिक कारण होते हैं – जैसे कि कई बार महिला के मन में सहवास को लेकर डर बैठ जाता है कि इस दौरान काफी दर्द होता है। इसके अलावा, किसी तरह की जोर-जबरदस्ती, सेक्स को पाप या गलत समझने और अपने जननांगों को गंदे या बदबूदार मानने की भावना से भी यह परेशानी हो सकती है।

इलाज : इस परेशानी की कोई दवा या सर्जरी नहीं होती। यह मानसिक बीमारी है और इसे काउंसलिंग से बहुत हद तक सुधारा जा सकता है। पीड़ित महिला के मन से सेक्स संबंधी डर दूर किया जाता है। उसे समझाया जाता है कि जनन अंग इलास्टिक की तरह होता है, जो जरूरत के मुताबिक बढ़ जाता है। इससे उसके दिमाग से काफी हद तक फिक्र निकल जाती है और वह मानसिक तौर पर राहत महसूस करने लगती है। इसके बाद एक खास थेरपी के जरिए जनन अंग को धीरे-धीरे बाहरी चीज के टच के प्रति सहज किया जाता है। फिर डाइलेटर की मदद से ज्यादा जगह बनाई जाती है। इसके लिए कीजल एक्सरसाइज भी की जा सकती है। इसका तरीका यह है कि महिला पेशाब को रोके और छोड़ दे। फिर रोके, फिर छोड़ दे। इस तरह जनन अंग पर उसका कंट्रोल बढ़ जाता है।

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