नई दिल्ली: हिंदू धर्म में, देवी दुर्गा को शक्ति, साहस और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है. देवी दुर्गा ही ब्रह्मांड को बुराई और नकारात्मक ऊर्जा से बचाती हैं. ऐसा कहा जाता है कि देवी दुर्गा दिव्य स्त्री ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती हैं और हमेशा अपने भक्तों को हर तरह की बुराई से बचाती हैं. वह देवी पार्वती का योद्धा-रूप है जो सभी देवताओं की शक्ति और दिव्य ऊर्जा के संयोजन से दुर्गा में परिवर्तित हो गई थी. देवताओं ने देवी को अपने हथियार प्रदान किए थे, ताकि वह असुरों के साथ होने वाले महासंग्राम में युद्ध में विजयी रहें. मां दुर्गा के हाथों में नौ अस्त्र-शस्त्र हैं. आइए जानते हैं उनके बारे में-
शेर- देवी दुर्गा का शेर साहस , लालच, ईर्ष्या, सहमत, स्वार्थ, अहंकार आदि जैसी अनियंत्रित भौतिकवादी इच्छाओं का प्रतीक है. मां दुर्गा की शेर की सवारी इस बात का प्रतीक है कि हमें अपनी भौतिक इच्छाओं, आवश्यकताओं और भावनाओं को नियंत्रित करना चाहिए.
लाल साड़ी- देवी दुर्गा को आमतौर पर सोने के आभूषणों के साथ लाल साड़ी पहने देखा जाता है. लाल साड़ी जुनून का प्रतीक है. यह बुराई और बुरे के खिलाफ मानव जाति की रक्षा करने के उनके तरीके का भी प्रतिनिधित्व करता है
शंख- शंख वरुण देव ने माता को शंख भेट किया था. इस शंख की ध्वनि जब गुंजायमान होती है तो धरती, आकाश और पाताल में दैत्यों की सेना भाग खड़ी होती है.
तलवार- तलवार यमराज ने देवी को तलवार और ढाल भेंट की थी. देवी ने असुरों की गर्दन तलवार से ही काटी थी.
चक्र- देवी दुर्गा के हाथों में एक चक्र कर्तव्य और धार्मिकता का प्रतीक है. यह हमारे कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को स्वीकार करने और जीवन में हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उन्हें पूरा करने के महत्व को दर्शाता है.
कमल का फूल- देवी दुर्गा के हाथों में कमल का फूल भौतिकवादी दुनिया से तपस्या, पवित्रता और वैराग्य का प्रतीक है. यह हमें एक सबक देता है कि कीचड़ वाले पानी में रहने के बावजूद, कमल का पानी शुद्ध, जीवंत और रंगों से भरा रहता है. इसी तरह, हम मनुष्यों को भी बुरे में अच्छाई देखने की कोशिश करनी चाहिए.
धनुष-बाण- पवन देव ने देवी को धनुष और बाणों से भरा तरकश प्रदान किया था. मां ने धनुष और बाणों के प्रहार से असुरों की सेना को नष्ट कर दिया था.
सांप- देवी दुर्गा के हाथों में साँप विनाशकारी समय की सुंदरता और सच्चाई का प्रतिनिधित्व करता है. जो लोग इस धरती पर रह रहे हैं, उन्हें मरना होगा और उनकी आत्मा अगले जन्म में एक नया रूप लेगी. यह अंधेरे समय में भी अच्छाई का प्रतीक है.
त्रिशुल- भगवान शंकर ने दैत्यों से युद्ध के लिए अपने शूल से त्रिशूल निकालकर मां दुर्गा को भेंट किया था. इससे देवी को महिषासुर समेत असुरों का वध करने में सहायता मिली थी.