दिल्ली में भीख मांगने वालों पर लगेगी रोक, भिखारियों के लिए शुरू होगी पुनर्वास की योजना

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने शहरी बेघर भिखारियों के पुनर्वास के क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न व्यक्तियों और गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ रविवार को एक बैठक की. इस बैठक में भिखारियों के पुनर्वास के लिए कार्य योजना तैयार करने के विषय पर विस्तार से चर्चा की गई. बैठक में दिल्ली पुलिस, दिल्ली सुधार आश्रय बोर्ड के प्रतिनिधि भी मौजूद थे. दिल्ली के समाज कल्याण मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम ने कहा, यह बैठक दिल्ली में भीख की रोकथाम और भिखारियों के पुनर्वास के लिए एक व्यापक कार्ययोजना बनाने के विषय पर हुई थी. इनके लिए एक सामाजिक-आर्थिक पुनर्वास रणनीति बनाने और समाज में व्यापक जन जागरण तथा नागरिकों को शिक्षित करने का कार्यक्रम करने की आवश्यकता है.

समाज कल्याण मंत्री ने इस विषय से जुड़े सभी हितधारकों से एक व्यावहारिक मॉडल को अपनाने की अपील की, जिससे सही तरीके से एक दिशा परिणामोन्मुखी प्रयास किए जा सके. इस बैठक में उपस्थित विभिन्न हितधारकों ने भी इस बात पर आम सहमति प्रकट की कि इस समस्या के उन्मूलन के लिए सभी सरकारी विभागों, संस्थानों और नागरिकों के बीच एक बेहतर तालमेल होना आवश्यक है.

समाज कल्याण मंत्री ने कहा, भिखारियों के सफल पुनर्वास के लिए एक लक्षित ढंग से प्रयास करने के लिए एक सर्वेक्षण किया जाना आवश्यक है. राजधानी में भिखारियों की संख्या को निश्चित करने के लिए एक व्यापक सर्वेक्षण समय की मांग है. इस सर्वेक्षण के आधार पर ही ऐसे जटिल विषय के समाधान का मार्ग प्रशस्त होगा.

इस प्रकार के सर्वेक्षण से ही विभिन्न पृष्ठभूमि, आयु और वर्ग के भिखारियों और असहाय तथा कमजोर व्यक्तियों की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रभावी उपाय करने के लिए एक आधार प्राप्त होगा.

दिल्ली सरकार के मुताबिक सामाजिक और आर्थिक कारणों पर ध्यान दिए बिना भीख मांगने वालों की समस्या का समाधान नहीं कर सकते. इस बैठक में मौजूद सभी हितधारक इस बात पर एकमत थे कि भीख मांगने वाले व्यक्तियों की वास्तविक संख्या को जानने के लिए एक नया सर्वेक्षण किया जाना चाहिए.

इस सर्वेक्षण में भिखारियों की विभिन्न श्रेणियों – आयु, वर्ग, पृष्ठभूमि – की जानकारी एकत्र करने का प्रावधान होना चाहिए. इससे भिखारियों के पुनर्वास के लिए प्रभावी ढंग से उपाय करने में सहायता मिलेगी. इस विषय में मानक दिशानिर्देशों की अपेक्षित उपलब्धता की बात भी ध्यान में लाई गई. इन सभी उपायों के आधार पर ही भिखारियों की अधिकता वाले क्षेत्रों में प्रभावी ढंग से समस्या के समाधान की दिशा में कार्य संभव हो सकेगा.

दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष अनुराग कुंडू ने कहा, सरकारी कल्याणकारी योजनाओं से संबंधित जानकारी के अभाव में बच्चों को होने वाली कठिनाइयों से संबंधित एक अध्ययन प्रस्तुत किया गया, जिसमें बताया गया कि अपेक्षित सूचना के अभाव में बच्चे सरकारी परियोजनाओं का लाभ लेने से वंचित रहते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *