नवरात्रों पर टिकी फूल व्यापारियों की उम्मीद, पिछले छह महीने से ठप पड़ा है बाजार

शनिवार 17 अक्टूबर से नवरात्रों की शुरुआत हो रही है। यह समय धार्मिक ही नहीं, व्यावसायिक दृष्टि से भी बेहद महत्त्वपूर्ण माना जाता है। अब तक सुस्त पड़े फूलों के बाजार को भी नवरात्रों से बड़ी उम्मीद है। व्यापारियों का कहना है कि पूरे शादी के सीजन में फूलों का व्यापार ठप पड़ा रहा जिससे हर व्यापारी को लाखों रुपयों का घाटा हुआ। मेरठ, अलीगढ़ के हजारों फूल किसानों को अपने खेतों में जुताई करवाकर अन्य फसलों के उत्पादन की ओर रुख करना पड़ा। लेकिन अब लॉक डाउन खुल जाने के बाद व्यापार धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है और नवरात्रों के सीजन में तेज वापसी की उम्मीद है।

गाजीपुर फूल मंडी के प्रधान तेग सिंह चौधरी ने अमर उजाला को बताया कि अब फूलों के बाजार में धीरे-धीरे वापसी हो रही है। इस समय गुलाब, गेंदा और सजावट में इस्तेमाल होने वाले फूलों की मांग बाजार से होने लगी है। इस समय गेंदा के फूल 24 रुपये किलो बिक रहे हैं। पीले गेंदे की विशेष खूबसूरती के कारण इसकी मांग ज्यादा रहती है। इसकी कीमत इस समय 40 रुपये प्रति किलो तक चल रही है। सामान्य नवरात्रों के सीजन में गेंदा फूलों की कीमत 100 से 150 रुपये तक पहुंच जाती है। सबसे ज्यादा मांग कोलकाता के गुलाब की होती है जो अपने बड़े साइज और चटख रंग के कारण ज्यादा पसंद की जाती है।
गेंदे के फूलों की सबसे ज्यादा मांग मंदिरों में होती है, यही कारण है कि गेंदा व्यापारियों को उम्मीद है कि नवरात्रों में इस बार मंदिरों में लोगों के आने-जाने की हलचल बढ़ेगी जिससे फूलों के बाजार में तेजी आएगी। हालांकि, इस बार सामान्य नवरात्रों वाली तेजी आने की उम्मीद कम ही है।
कट फ्लॉवर की मांग कम
सामान्य मौसम में फूलों के कट फ्लॉवर वेराइटी की मांग सबसे ज्यादा होती है। इसकी कीमतें भी अन्य फूलों की तुलना में बहुत ज्यादा होती है। लेकिन इसका सबसे ज्यादा उपयोग सजावट के लिए होता है। यही कारण है कि इसकी मांग होटलों, शादियों, धार्मिक-पारिवारिक समारोहों में सजावट के लिए सबसे ज्यादा होता है। इनमें ग्लैडोलियस, जरबेरा, गुलदावरी, कार्नेशन, लिली (एशियाटिक और ओरियेंटल), डेजी और रजनीगंधा आते हैं। लेकिन कोरोना संक्रमण से बचने की कोशिश में इस तरह के बड़े धार्मक-पारिवारिक कार्यक्रमों पर रोक लगने के कारण इन फूलों की मांग में अभी ज्यादा तेजी नहीं आई है।

लूज फ्लावर- बिना डंठल वाले फूलों को धार्मिक कार्यक्रमों में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। इनमें गेंदा, जाफरी, गुलाब, मोगरा और मोतिया प्रमुख हैं। धार्मिक-पारिवारिक समारोहों में इनकी सबसे ज्यादा मांग होती है। अब चूंकि छोटे-छोटे कार्यक्रम होने शुरु हो गए हैं, यही कारण है कि इन फूलों की मांग में काफी वापसी हो गई है। हालांकि इस समय भी कोरोना के मामले काफी बढ़ रहे हैं, लेकिन लोग सावधानी के साथ बाहर निकल रहे हैं। ऐसे में अगर इस बार मंदिरों में लोगों का आवागमन बढ़ता है तो इस व्यापार में तेजी आ सकती है।

हर एकड़ पर 10 लाख तक का नुकसान
फूल बाजार में नरमी के कारण फूल किसानों को इस साल भारी नुकसान उठाना पड़ा। अनुमान है कि प्रति एकड़ फूलों के खेतों को लगभग 10 लाख रूपये तक का नुकसान पिछले छः महीने में हुआ है। गाजीपुर फूल मंडी में 422 दुकानें हैं। हर दुकान पर लगभग 15-20 लोगों का सीधा रोजगार जुड़ा हुआ है।

फूलों की माला बनाने वाली महिलाएं भी यहां 300-500 रुपये तक औसतन कमाई कर लेती हैं। इन्हें प्रति माला बनाने का एक रुपये, और बीस माला की एक कौड़ी (गुच्छे) के लिए बीस रुपये मेहनताना मिलता है। लेकिन पिछले छह महीने से इनकी कमाई पूरी तरह ठप पड़ी हुई हैं। अब इनकी निगाहें भी नवरात्रों पर टिकी हुई हैं।

गाजीपुर फूल मंडी में कोलकाता, बंगलूरू, केरल, हैदराबाद, थाईलैंड और चीन से फूल मंगवाए जाते हैं और यहां से लखनऊ, चंडीगढ़, जयपुर, पटना जैसे बाजारों को फूलों का निर्यात किया जाता है। इसकी वजह से ट्रांसपोर्ट के हजारों व्यापारियों का व्यापार भी इन्हीं पर टिका हुआ है। अब इन व्यापारियों को भी नवरात्रोंं से भारी उम्मीद है।

 

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