रायपुर. जन्म लेने के कुछ घंटे बाद ही कोरोना वायरस की चपेट में आने वाले दो नवजातों में से एक को चौदह दिन बाद मां की गोद नसीब हो पाई। एम्स के चिकित्सकों ने प्रसव के बाद दोनों को आक्सीजन की मदद से एनआईसीयू में विशेष निगरानी में रखा था। दोनों शिशुओं की मां कोरोना संक्रमित होकर पिछले दिनों इलाज के लिए एम्स पहुंची थीं, जहां उनका प्रसव हुआ। कोरोना हर उम्र के लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। थोड़ी सी चूक की वजह से गर्भवती महिलाएं भी संक्रमण का शिकार हो रही हैं। रायपुर में रहने वाली गर्भवती महिला कोरोना संक्रमित होने के बाद इलाज के लिए एम्स पहुंची थी। स्त्री रोग विभाग के चिकित्सकों ने पिछले दिनों उसका प्रसव कराया। बच्चे की कोरोना रिपोर्ट जन्म लेने के बाद पॉजिटिव आ गई। चंद घंटे पहले आंखें खोलने वाले नवजात को मां से दूर कर नियोनेटल विभागाध्यक्ष डा. फाल्गुनी पाढ़ी और बाल रोग विभागाध्यक्ष डा. एके गोयल की निगरानी में छोटे बच्चों के एनआईसीयू के आइसोलेशन में रखा गया।
शिशु को शुरुआती दौर में बुखार था और वह सामान्य रूप से दूध नहीं पी पा रहा था। उसे आक्सीजन सपोर्ट की आवश्यकता पड़ी। लगातार दस दिन तक चिकित्सकों की निगरानी में उपचार पाने के बाद उसे कोविड-19 नेगेटिव पाया गया। चार दिन और एनआईसीयू में रखने के बाद मां को सौंप दिया गया। दूसरी 29 वर्षीय संक्रमित महिला गरियाबंद की रहने वाली थी। सर्जरी के माध्यम से जन्मा शिशु भी कोरोना की चपेट में आ गया था। एनआईसीयू के आइसोलेशन में आक्सीजन की मदद से उसका भी उपचार किया गया और सात दिन बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। परिजनों ने माना आभार कोरोना की चपेट में आई महिलाओं की डिलीवरी और उसे बड़ी कोविड संक्रमित बच्चों को स्वस्थ करने के लिए रिश्तेदारों ने चिकित्सकों का आभार प्रकट किया है। वहीं इस बड़ी सफलता के लिए एम्स के निदेशक डा. नितिन एम. नागरकर ने टीम वर्क की सफलता के लिए तीनों विभागों के चिकित्सकों को बधाई दी है।