बैकुंठपुर 29 नवंबर 2020, हमारे शरीर का एक सामान्य तापमान होता है, जो कि शरीर द्वारा संचालित होता है। जब शरीर का तापमान सामान्य व सुरक्षित स्तर से अचानक नीचे गिर जाता है, तो यह अल्पताप या हाइपोथर्मिया कहलाता है। यह समस्या गंभीर भी साबित हो सकती है।
हाइपोथर्मिया के संबंध में जानकारी देते हुए डां रामेश्वर शर्मा ने बताया,” ठंड के मौसम हमारा शरीर आवश्यकतानुसार शारीरिक गर्मी का उत्पादन नहीं कर पाता, जितनी गर्मी की हमारे शरीर द्वारा मांग होती है। सर्दी के मौसम में हमारे शरीर को अधिक सामान्य तापमान चाहिए होता है, लेकिन जब शरीर जरूरी गर्माहट को संरक्षित नहीं रख पाता तो मुश्किल स्थिति बन जाती है। यह समस्या ज्यादा देर ठंड या ठंडे पानी में रहने की वजह से भी हो सकती है।“
जाने शरीर का सामान्य तापमान
शरीर का सामान्य तापमान उम्र, लिंग और स्वास्थ्य की स्थिति पर निर्भर करता है। वैसे, सामान्य शारीरिक तापमान 97.7 डिग्री फारेनहाइट यानी 36.5 डिग्री सेल्सियस से लेकर 99.5 डिग्री फारेनहाइट यानी 37.5 डिग्री सेल्सियस तक होता है। न्यून्तम सामान्य शारीरिक तापमान 36 डिग्री सेल्सियस भी हो सकता है। शारीरिक तापमान के 95 डिग्री फारेनहाइट से नीचे गिरने को हाइपोथर्मिया कहा जाता है और 38 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा शारीरिक तापमान को बुखार की समस्या कहा जाता है।
शरीर में गर्मी बनाए रखने का कार्य दिमाग का एक हिस्सा करता है, जिसे हाइपोथेलेमस कहा जाता है। जब हाइपोथेलेमस को संकेत मिलता है कि शरीर में गर्माहट का स्तर गिर रहा है, तो यह शारीरिक तापमान को उठाकर सामान्य बनाने का कार्य करता है।
जाने क्या है लक्षण
हाइपोथर्मिया की वजह से आपके सोचने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। हाइपोथर्मिया की स्थिति में बोलने की गति कम हो जाती है।हाइपोथर्मिया के कारण अत्यधिक कंपन महसूस हो सकता है। हाइपोथर्मिया की समस्या में व्यक्ति की सांसें धीमी पड़ जाती हैं। हाइपोथर्मिया की समस्या सोचने की क्षमता पर बुरा असर डालती है, कुछ लोगों को इस समस्या की वजह से शारीरिक थकान का सामना भी करना पड़ सकता है। हाइपोथर्मिया की वजह से याद्दाश्त भी कमजोर हो सकती है। हाइपोथर्मिया में हाथ और पैरों में सुन्नपन हो सकता है। नवजातों की त्वचा हाइपोथर्मिया की वजह से बिल्कुल लाल या ठंडी हो सकती है। इसके अलावा, नवजात बच्चों की ऊर्जा, हाइपोथर्मिया की वजह से काफी कम हो सकती है।हाइपोथर्मिया से ग्रस्त होने पर बोलचाल में परेशानी, ध्यान केंद्रित करने में समस्या, चाल लड़खड़ाने लगती है।हाइपोथर्मिया बिगड़ने पर व्यक्ति बेहोश भी हो सकता है।
रहना होगा सावधान
हाइपोथर्मिया की समस्या वैसे तो किसी को भी हो सकती है,लेकिन उम्र हाइपोथर्मिया की समस्या में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। समान्य तौर पर बुर्जुगो और बच्चो विशेषकर नवजात शिशुओ को यह समस्या होती है। क्योंकि इन लोगों में सामान्य शारीरिक तापमान को बनाए रखने की क्षमता कम हो जाती है। शरीर की सामान्य तापमान बनाए रखने की क्षमता नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है। शराब या ड्रग्स का सेवन करने से भी आपको हाइपोथर्मिया की समस्या का खतरा हो सकता है। इसमें शराब का सेवन करना ज्यादा खतरनाक हो सकता है। क्योंकि, शराब का सेवन करने से आपके शरीर के गर्म होने का झूठा एहसास होता है, जबकि असल में रक्त धमनियां फैल जाती हैं और त्वचा के जरिए ज्यादा शारीरिक गर्मी शरीर से निकल जाती है। डिमेंशिया या बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी अन्य मानसिक समस्या होने की वजह से भी आपको हाइपोथर्मिया की दिक्कत हो सकती है। मानसिक समस्या होने की वजह से लोग अपनी पर्याप्त देखभाल नहीं कर पाते और ऐसे में सर्दी के मौसम में पर्याप्त देखभाल के बिना बाहर जाना खतरनाक हो सकता है और उनके सामान्य शारीरिक तापमान में गिरावट का कारण बन सकता है।
ठंड में रखे अपना विशेष ख्याल शारीरिक तापमान में अस्थिरता हाइपोथर्मिया है वजह
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