OMG! भारतीयों को वर्क फ्रॉम होम का ऐसा लगा चस्का, वेतन में स्थायी कटौती तक को तैयार

कोविड महामारी के कारण दुनिया भर में लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं. भारत भी इससे अछूता नहीं है. कंपनियां घर से काम करा रही हैं. ऐसे में रोजाना ऑफिस जाने वाले लोगों के लिए ये नया तरह का एक्सपीरियंस है. जो उन्हें खूब भा रहा है. हालिया शोध में ऐसे ही नतीजे सामने आए हैं.

करीब 54 प्रतिशत कामकाजी भारतीयों ने कहा कि वे घर से काम करना पसंद करते हैं (वर्क फ्रॉम होम), जिनमें से 34 प्रतिशत अनिश्चित समय तक वर्क फ्रॉम होम के लिए 10 प्रतिशत वेतन कटौती करने को तैयार हैं. गुरुवार को जारी हुई एक नई रिपोर्ट से यह पता चला.

द मेवरिक्स इंडिया द्वारा देशभर के 720 उत्तरदाताओं के साथ किए गए सर्वेक्षण में यह भी पता चला है कि 56 प्रतिशत भारतीयों का मानना है कि अप्रैल 2020 में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण घर से काम करना शुरू करने के बाद से उनके उत्पादकता स्तर में काफी वृद्धि हुई है

सबसे उल्लेखनीय उत्पादकता वृद्धि के गवाह वरिष्ठ अधिकारी और सीएक्सओ प्रतीत होते हैं, जिनमें से 31 प्रतिशत ने पूर्व-कोविड काल से 25 प्रतिशत या उससे अधिक की उत्पादकता वृद्धि का दावा किया है.

इसके अलावा सीएक्सओ कॉहोर्ट के 39 प्रतिशत सदस्य 18 प्रतिशत जूनियर अधिकारियों की तुलना में स्वेच्छा से घर से काम करने के लिए 10 प्रतिशत वेतन कटौती करने के लिए तैयार हैं.

सर्वेक्षण में यह भी पता चला कि अप्रैल में 66 प्रतिशत की तुलना में अक्टूबर में सिर्फ 39 प्रतिशत उत्तरदाताओं में महामारी का डर रहा है.

शहर के लिहाज से देखें तो सबसे अधिक गिरावट चेन्नई में देखी गई, जिसमें अप्रैल 2020 में 74 फीसदी की महामारी को लेकर अत्यधिक चिंता थी और अक्टूबर 2020 में वह सिर्फ 28 फीसदी रही.

आश्चर्यजनक रूप से सिर्फ कोलकाता में अप्रैल 2020 में डर या चिंता में 54 प्रतिशत से अक्टूबर 2020 तक 62 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है.

आंकड़ों से यह भी पता चला कि 95 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि मीडिया का देश के लोकतंत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है.

सर्वेक्षण में पाया गया कि 75 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि अर्थव्यवस्था को वापस सामान्य होने में एक साल आराम से लगने वाला है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *