राजनांदगांवः हम सबकी कुछ न कुछ इच्छाएं होती है। कुछ ख्वाहिशें होती है, कुछ सपने होते हैं। कुछ अरमान होते हैं, लेकिन जरुरी नहीं कि ये सारे पूरे हो ही जाएं। अपनी शादी और बारात को लेकर एक सपना राजनांदगांव जिले के कोबरा बटालियन के एक जवान ने भी देखा था। लेकिन देह में हल्दी लगती, सिर पर सेहरा सजता, इससे पहले ही वो तिरंगे में लिपटकर विदा हो गया। क्या था उस शहीद का अरमान और कैसे पूरी हुई एक अधूरी ख्वाहिश। आइए जानते हैं।
फिसल रही हैं सारी खुशियां पलकों से भीगकर… हर ख्वाहिश बिखर रही है मेरी एक-एक कर…। कुछ ऐसे ही सच होते हैं सपने, लेकिन इन सपनों को सच होता देखने के लिए सपने देखने वाला ही इस दुनिया में नहीं रहा। दरअसल, ये तस्वीरें राजनांदगांव जिले के जंगलपुर की है। जहां 11 बैल गाड़ियों में बारात एक अधूरे अरमान को पूरा करने के लिए निकली।
दरअसल, जंगलपुर में रहने वाला कोबरा बटालियन 204 का जवान पूर्णानंद इसी साल फरवरी महीने में नक्सलियों से मोर्चा लेते हुए शहीद हो गया था। उसकी ख्वाहिश थी कि वो अपनी शादी में बैलगाड़ी से बारात लेकर जाए। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। अब 11 महीने बाद जब पूर्णानंद की बहन ओनिशा की शादी तय हुई, तो उसके होने वाले पति शैलेंद्र को इस बात का पता चला। फिर उसने पूर्णानंद की अधूरी ख्वाहिश पूरी करने बैलगाड़ी पर ही बारात ले जाने का फैसला किया। जबकि शैलेंद्र अमेरिका में एक कंपनी में काम करता है। बैलगाड़ी की ये बारात सैकड़ों कारों के काफिले और हाथी-घोड़ों की बग्गी पर भारी थी।
सजी हुई ग्यारह बैलगाड़ियों में जब बारात निकली और दुल्हन के द्वार पहुंची, तो एक अधूरा सपना पूरा होने की खुशी थी और इस वक्त शहीद पूर्णानंद के साथ न होने की कसक भी। ऊपर कहीं से ये सब देखकर शहीद भी यही सोचता होगा, मेरी ख्वाहिश के मुताबिक तेरी दुनिया कम है और कुछ यूं है कि खुदा हद से ज्यादा कम है।