नई दिल्ली: एक तरफ पिछले कई दिनों से किसान कृषि बिल को लेकर आदोलन कर रहे हैं और सरकार उनको मनाने में अभी तक नाकाम रही है. सरकार और किसानों के बीच में पांच दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन सभी दौर में कोई भी हल नहीं निकल सका. अब किसान आंदोलन के साथ डॉक्टर्स ने भी हड़ताल का ऐलान कर दिया है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने 11 दिसंबर को देशभर में 10 हजार जगहों पर स्ट्राइक का ऐलान किया है. जहां एक तरफ किसान आंदोलन सरकार के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं वहीं आईएमए के इस ऐलान से एक और समस्या पैदा हो गई है
दरअसल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने हड़ताल का ऐलान सरकार के एक फैसले के विरोध में किया है. भारत सरकार ने आयुर्वेद के पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टरों को सर्जरी करने की इजाजत दी है लेकिन वहीं आईएमए सरकार के इस फैसले का विरोध कर रही है.
आईएमए ने कहा कि सभी तरह की चिकित्सा पद्धतियों के बीच में एक अंतर यानि लक्ष्मण रेखा होनी जरूरी है. आईएमए ने यह भी कहा कि सीसीआईएम अपनी खुद की सर्जरी पद्धति को तैयार करे न कि मार्डन मेडिसिन के तरीकों को अपनाए.
यह पहला मौका नहीं है जब आईएमए ने सीसीआईएम के खिलाफ विरोध दर्ज कराया है इससे पहले आईएमए ने आरोप लगाया था कि सीसीआईएम अपने छात्रों को मॉर्डन मेडिसिन पद्धति की किताबों से डॉक्टरी शिक्षा दे रहा है जिससे वह इलाज के दोनों तरीकों में अंतर खत्म करने की कोशिश कर रहा है.
अब IMA खुलकर सीसीआईएम के विरोध में आ गया है. आईएमए ने कहा कि मौजूदा दौर में सर्जरी की जो तकनीकि है वह आधुनिक मेडिकल साइंस की पद्धति है और इसे किसी भी हालत में आयुर्वेद से नहीं जोड़ा जा सकता.