नौ रत्नो मे ‘माणिक्य’ रत्न की विशेषता

प्रिय पाठको,

रत्नों की श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए आज हम सूर्य के प्रिय रत्न माणिक्य के बारे में जानेंगे।

सूर्य ग्रह को समस्त ग्रहों में राजा की उपाधि से संवारा जाता है सूर्य ग्रह सत्ता का कारक ग्रह है सरकार तथा सरकार के अंग के रूप में सूर्य का विशेष महत्व है किसी भी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य ग्रह की बलि स्थिति उसे सरकारी नौकरी की ओर प्रेरित करती है सरकारी नौकरी हेतु तथा समस्त सरकारी कार्यों की प्राप्ति एवं लाभ हेतु कुंडली में सूर्य का बली होना अत्यंत आवश्यक है।

सूर्य ग्रह से प्रभावित व्यक्ति के अंदर काफी मात्रा में एटीट्यूड का होना पाया जाता है ऐसा व्यक्ति क्रोधी स्वभाव के साथ-साथ अपने आप को अन्य व्यक्तियों से सर्वोपरि समझता है ऐसा व्यक्ति जीवन में सिर्फ अपने ही महत्व को परिभाषित करता है।

सूर्य ग्रह क्रूर ग्रहों की श्रेणी में आता है कुछ लोग सूर्य को पापी ग्रह भी मानते हैं किंतु सूर्य ग्रहों का राजा है एवं एक क्रूर ग्रह के रूप में जाना जाता है इसे पापी ग्रह की श्रेणी में रखना उचित नहीं है सूर्य ही सरकार की तथा सरकार से समस्त कार्यप्रणाली का परिचायक होता है।

कुंडली में बिना बली सूर्य के सत्ता की प्राप्ति तथा सरकारी नौकरी हेतु किया गया प्रयास अधिकतर विफल ही साबित होता है सरकारी नौकरी एवं सरकारी उच्च पद हेतु सूर्य का कुंडली में बली होना अनिवार्य माना गया है।

सूर्य को चिकित्सा का कारक ग्रह भी माना जाता है अगर कोई जातक चिकित्सक बनना चाहता है तो उसकी कुंडली में सूर्य काबली होना जरूरी है इसी सूर्य के ऊपर में यदि मंगल का शुभ प्रभाव पड़ जाए तो ऐसा व्यक्ति सर्जन की श्रेणी में शामिल हो जाता है सूर्य ही व्यक्ति को वन औषधि तथा रस और रसायन से संबंधित ज्ञान की प्राप्ति कराता है सूर्य के द्वारा ही हमें चिकित्सकीय संबंधी जानकारी की प्राप्ति संभव हो पाती है।

किसी भी जातक की कुंडली में उच्च का सूर्य उस व्यक्ति को समाज एवं सरकार में दोनों ही जगह उच्चता प्रदान कराता है ऐसा व्यक्ति राजनीतिक रूप से सत्ता में उच्च पद जिसमें मुख्यमंत्री राज्यपाल मंत्री पद जैसे उचिता प्रदान करता है वही भारतीय प्रशासनिक सेवा में जिलाधीश अथवा अन्य उच्च पदों की प्राप्ति कराता है।

सूर्य व्यक्ति के जीवन में उसके स्टेटस को बढ़ाने वाला ग्रह माना गया है, सुर्य ही व्यक्ति के जीवन में अहंकार उत्पन्न करता है जिस प्रकार समस्त ग्रहों में सूर्य राजा कि श्रेणी में आता है उसी प्रकार सूर्य प्रभावित अथवा सूर्य प्रधान व्यक्ति समाज में उच्च पद की प्राप्ति करता है।

कुंडली में सूर्य को आत्मा का कारक ग्रह माना गया है ऐसा माना जाता है की सूर्य व्यक्ति की आत्मा का बोध कराता है कुंडली में नीच का सूर्य व्यक्ति की उसकी गंदी आत्मिक सोच को उजागर करता है।

कुंडली में सूर्य पिता के कारक ग्रह भी माने गए हैं किसी भी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य की स्थिति उसके पिता के परिस्थितियों को भी उजागर करती है किसी भी कुंडली में सूर्य का बली होना उसकी आत्मा तथा उसके पिता तथा उसके सरकारी संबंधों की वास्तविक स्थिति को प्रदर्शित करता है।

अगर कुंडली में सूर्य पीड़ित है तो उसको बली करने के लिए सूर्य का प्रिय रत्न माणिक्य धारण करना चाहिए लाल कलर का यह रत्न दाएं हाथ की अनामिका उंगली में सोने में धारण करना शुभ माना जाता है।

सूर्य के कुंडली में कारक स्थिति होने पर ही उसका रत्न माणिक्य धारण करना चाहिए अशुभ स्थिति में तथा नीच राशि में स्थित त्रिक भाव में स्थित सूर्य का रत्न धारण नहीं करना चाहिए।

आप अपने कुँड़ली से सम्बधित विस्तृत जानकारी के लिए सम्पर्क कर सकते है –

Astro Raju chhabra(devendre singh)

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Contact .Mb – 07747066452 , 7000029286

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