दुर्ग, 29 जनवरी 2021। जिले के ब्लॉक मुख्यालय पाटन के नगर पंचायत परिसर में 30 जनवरी को कुष्ठ निवारण दिवस मनाया जाएगा। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों में कुष्ठ रोग के प्रति जागरूकता फैलाना है।इस मौके पर 30 जनवरी से 13 फरवरी 2021 तक स्पर्श कुष्ठ जन जागरुकता पखवाड़े का शुभारंभ भी किया जाएगा साथ ही इस दौरान कुष्ठके प्रति जागरुकता हेतु एक प्रचार-प्रसार रथ भी रवाना किया जाएगा, जो जिले के सभी ब्लॉकों में पहुंचेगा और इसके द्वारा लोगों कोकुष्ठ रोग के बारे में जानकारी दी जायेगी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा कुष्ठ रोगियों को समाज की मुख्य धारा से जोडऩे के लिए किए गए प्रयासों की वजह से हर वर्ष 30 जनवरी को उनकी पुण्यतिथि पर कुष्ठ रोग निवारण दिवस के रूप में मनाया जाता है। पाटन ब्लॉक में कुष्ठ रोगी खोज अभियान के अंतर्गत 51 कुष्ठ प्रभावितों की पहचान की गई है, जिसमें 17 एमबी व 34 पीबी श्रेणी के मरीज मिले हैं। अभियान के तहत ब्लॉक में सक्रिय भूमिका निभाने वाली मितानिन व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को कुष्ठ निवारण दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में सम्मानित भी किया जाएगा।
इस बारे में जिला कुष्ठ उन्नमूलन अधिकारी डॉ. अनिल कुमार शुक्ला ने बताया, “राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान 30 जनवरी से 13 फरवरी तक चलाया जाएगा। पखवाड़े के दौरान लोगों को यह बताया जाएगा कि कुष्ठ रोग लाइलाज नहीं है। कुष्ठ रोग का पूर्णत: उपचार संभव है। वहीं कुष्ठ रोग के इलाज में देरी से विकलांगता हो सकती है। कुष्ठ रोगियों को स्पर्श करने से कुष्ठ रोग नहीं होता है। साथ ही, कुष्ठ रोग से पीड़ित मरीजों के बेहतर इलाज, रखरखाव व उन्हें दी जाने वाली सुविधाओं को लेकर आवश्यक निर्देश दिए जाएंगे”।
डॉ. अनिल कुमार शुक्ला ने बताया, “जिले में चिह्नित कुष्ठ रोग के मरीजों को उनके घर-घर जाकर दवा खिलाई जाएगी, ताकि जिले को कुष्ठ रोग से मुक्त किया जा सके। छत्तीसगढ़ में कुष्ठ रोग की प्रसार दर 2.45 प्रति दस हजार की जनसंख्या में है जिसमें जिले दुर्ग का प्रसार दर 2.0 दिसम्बर 2020 की स्थिति में है। जबकि कुष्ठ रोग उन्मूलन हेतु लक्ष्य प्रति दस हजार की जनसंख्या में एक या एक से कम लाने का प्रयास किया जा रहा। इसके लिए कुष्ठ रोग विभाग की एनएमए की टीम घर-घर जाकर लोगों में लक्षण नजर आने पर जांच करेंगी।साथ ही 30 जनवरी से 13 फरवरी तक स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान को व्यापक स्तर से चलाने हेतु ग्राम सभाओं का आयोजन, वॉल पेंटिंग व प्रचार–प्रचार किया जाएगा। इस दौरान अनिवार्य रूप से कोविड-19 गाइडलाइन का अनुपालन किया जाएगा”।
जिला कुष्ठ उन्मूलन अधिकारी डॉ शुक्ला ने बताया, “कुष्ठ से प्रभावित दो तरह के मरीजों के होने की संभावना देखी जाती है। एक मल्टीबेसिलरी और दूसरा पोसिबेसिलरी। मल्टीबेसिलरी मरीज को 12 माह और पोसिबेसिलरी मरीज को छह माह तक दवा लेनी होती है। हमारे समाज में आज भी अंधविश्वास के कारण कई लोग पूर्व जन्म का पाप मानते हैं ऐसे छुपे हुए रोगी ही कुष्ठ रोग का प्रसार करते हैं, जबकि यह बीमारी एक जीवाणु (लेप्रा बेसीलाई) के कारण होता है। कुष्ठ रोग के कारण प्रभावित अंगों में अक्षमता एवं विकृति आ जाती है, इसलिए छुपे हुए केस को जल्दी से जल्दी खोज कर एवं जांच उपचार कर कुष्ठ रोग का प्रसार रोका जा सकता है और सामाज को कुष्ठ मुक्त कर सकते हैं”।
महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर पाटन में 30 को आयोजित होगा कुष्ठ निवारण दिवस
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