बिल्लियों के साथ खेलना बच्ची को पड़ा भारी, चली गईं एक आंख की रोशनी

बिल्लियों के साथ खेलना आठ साल की बच्ची को महंगा पड़ा. जिसकी वजह से बच्ची को ‘टाक्सो- पैराकेनिस’ नाम की बीमारी हो गई और उसकी दाहिनी आंख की रोशनी चली गई. डॉक्टरों ने दावा किया कि देश में बीमारी का यह तीसरा केस है और इस केस स्टडी को अमेरिकन जर्नल को भेज दी है. बताया जा रहा है कि यह बीमारी बिल्लियों के मल से होती है, जिसकी वजह से बच्ची की एक आंख का पर्दा उखड़ गया था. बच्ची का एम्स में इलाज चल रहा है और लंबे इलाज के बाद धीरे-धीरे उसकी आंखों की रोशनी वापस लौट रही है.

घंटाघर के रहने वाले एक परिवार ने तीन देसी बिल्लियां पाली थीं और उनकी बच्ची दो-तीन साल की उम्र से ही बिल्लियों के साथ खेलने लगी थी. लेकिन पिछले साल जून में बच्ची सोकर उठी तो उसकी एक आंख में धुंधलापन आ गया. फिर कुछ दिनों बाद आंख लाल होने लगी. डॉक्टरों को लगा कि यह ए साधारण इन्फेक्शन है और दवा दे दी. लेकिन बावजूद इसके कोई असर नहीं हुआ. इसके बाद परिजन बच्ची को लेकर दिल्ली एम्स के नेत्र रोग विभाग पहुंचे जहां पर विभागाध्यक्ष प्रो. परवेज खान ने कुछ जांच कराईं. बच्ची के रहन-सहन के बारे में पूछा. बिल्लियों संग खेलने की जानकारी मिलने पर टाक्सो-पैराकेनिस की आशंका हुई. जांच में पता चला कि टीनिया केंडिस परजीवी का जबरदस्त संक्रमण है, जिससे एक आंख का परदा उखड़ गया है. यह परजीवी बिल्ली के मल से इंसानी आंख में पहुंचता है. आप्टिकल कोहरेंस टोमोग्राफी से जांच में पता चला कि आंख का परदा उखड़ गया है. कुछ स्टेरायड और एंटीपैरासाइट दवाओं से बीमारी काबू हो गई. छह महीने लगातार इलाज करने पर बच्ची ठीक हो रही है. ऑपरेशन नहीं करना पड़ा. यह भारत में ‘टाक्सो- पैराकेनिस’ बीमारी का तीसरा मामला है.

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