म्यांमार के तख्तापलट पर भारत सतर्क, जताई लोकतंत्र बहाली की उम्मीद

बेहद नाटकीय घटनाक्रम में म्यानमार  के सैन्य प्रमुख की हां या ना के बीच अंततः आंग सान सू ची की सत्ता का तख्ता पलट हो ही गया. इसको लेकर भारत ने बेहद सधी प्रतिक्रिया दी है. म्यांमार में जिस तरह से लोकतंत्र को लंबे समय तक सेना ने बंधक बना कर रखा और अब फिर सेना की सत्ता आने पर भारत बेहद सतर्क है. इसकी एक वजह तो यही है कि म्यामांर की लोकतांत्रिक सरकार के दौरान ही रक्षा मंत्री समेत कई बड़े सैन्य अधिकारियों ने चीन के हस्तक्षेप पर चिंता जाहिर की थी. खासकर जिस तरह चीन म्यांमार के अलगाववादियों को खाद-पानी उपलब्ध करा रहा था. गौरतलब है कि  वास्तविक नेता समेत राष्ट्रपति विन म्यिंट को राजधानी नैपीडॉ में नजरबंद कर दिया है. सेना के कमांडर इन चीफ मिन आंग लाइंग ने सत्ता संभालते ही एक साल के लिए आपातकाल लगा दिया है.

सधी प्रतिक्रिया दी विदेश मंत्रालय ने
म्यांमार में सू ची के नेतृत्व वाली सरकार का तख्तापलट हुआ, उसे देखते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने सधी प्रतिक्रिया दी है. एक औपचारिक बयान में विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत म्यांमार के घटनाक्रम पर बेहद गहरी निगाह रखे हुए हैं. साथ ही इस घटनाक्रम को लेकर चिंतित भी है. आगे कहा गया है कि भारत हमेशा से म्यांमार में लोकतंत्र की बहाली के लिए अपना समर्थन देता आया है. सैन्य सत्ता के बाद लोकतांत्रित प्रक्रिया से चुनकर आई सरकार को भारत का पूर्ण समर्थन प्राप्त रहा है. ऐसे में हालिया घटनाक्रम के बाद भारत को विश्वास है कि वहां लोकतंत्र की बहाली के साथ न्याय का शासन फिर बुलंद होगा. इस प्रक्रिया पर भारत की पैनी नजर है.

सोमवार तड़के हुआ तख्तापलट
म्यांमार के ऑनलाइन पोर्टल म्यांमार नाउ ने अज्ञात सूत्रों के हवाले से बताया है कि सू ची और उनकी पार्टी के अध्यक्ष को सोमवार तड़के गिरफ्तार कर लिया गया है. हालांकि इस बारे में अभी विस्तृत जानकारी नहीं मिल पाई है. उधर, एपी के अनुसार, म्यांमार में सेना के टेलीविजन चैनल ने बताया कि सेना ने एक वर्ष के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया है. बताया जा रहा है कि नेपीडॉ में सभी संचार लाइनों को काट दिया गया है. नेशनल लीग ऑफ डेमोक्रेसी पार्टी के लोगों से बात नहीं हो पाई है.

एक दशक पहले तक था सैन्य शासन
भारत के बेहद करीबी देश म्यांमार में एक दशक पहले तक करीब 50 साल तक सैन्य शासन रहा था. पिछले साल नवंबर में हुए चुनाव में सत्ताधारी एनएलडी पर धांधली के आरोप लगे थे. सेना ने देश में सैन्य तख्तापलट की खबरों से पहले इनकार किया था. बता दें कि कुछ पश्चिमी राजदूतों ने म्यांमार में तख्तापलट की आशंका जाहिर की थी. हालांकि, बाद में म्यांमार की सेना तत्पदौ ने बयान जारी कर कहा था कि उसके कमांडर इन चीफ सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग के बयान को तोड़ मरोड़कर पेश किया गया है. दरअसल संसद सत्र के पहले ही सेना ने चेतावनी दी थी कि चुनाव के दौरान वोटों में गड़बड़ी पर कार्रवाई नहीं की गई तो वह एक्शन ले सकती है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *