रामपुर में गौठान निर्माण से 800 मवेशियों को मिला आश्रय

रायपुर :  छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी के अंतर्गत गरुवा कार्यक्रम के तहत ग्राम पंचायत रामपुर (भांड) में गौठान बनने से लगभग 800 मवेशियों को आश्रय मिला है और अब सड़को पर मवेशियों का विचरण कम हुआ है। बेमेतरा जिले के जनपद पंचायत बेरला अंतर्गत मुख्य मार्ग में बसे ग्राम पंचायत रामपुर (भांड) में हरेली तिहार के अवसर पर महिला एवं बाल विकास, समाज कल्याण मंत्री बेमेतरा जिले की प्रभारी मंत्री श्रीमती अनिला भेड़िया ने गौठान का लोकार्पण किया था। गौठान में ग्रामीणों द्वारा चारे के दाने के साथ-साथ मवेशियों के उचित प्रबंधन, देखरेख के लिए ग्राम स्तर पर गौठान प्रबंधन समिति का चयन किया गया है, जिनके द्वारा गौठान का संचालन प्रारंभ कर दिया गया है। जिसमें पशु अवशेषों का वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन कर गोबर से आधुनिक खाद तैयार करने, गौ-मूत्र से कीटनाशक तैयार करने एवं गौठान स्थल पर विभिन्न प्रकार के आर्थिक गतिविधि संचालित की जाएंगी। ग्राम गौठान प्रबंधन समिति रामपुर (भांड) के सदस्यों द्वारा गौठान का संचालन करने से अब मवेशी एक जगह सुव्यवस्थित रूप से एकत्र रहते हैं। मवेशियों से फसल सुरक्षित होने से किसान भी निश्चिंत हैं।
गौठान में मवेशियों के लिए कच्चा शेड बनाया गया जिसमे छाया के साथ साथ बरसात के दिनों में चबूतरा का निर्माणकर सुखी जगह की भी व्यवस्था की गयी है और पानी की टंकी के निर्माण से गौठान में ही पीने की पानी की व्यवस्था की गयी है। गौठान में प्राकृतिक छाया हेतु बरगद के पेड़ में चबूतरा का निर्माण कराया गया है। सभी पशुओं को गौठान के भीतर ही सुनियोजित तरीके से रखे जाने से दुर्घटना की संभावना काफी हद तक कम हो गई है। खेतों की फसलों को भी अब मवेशियों द्वारा चरे जाने की समस्या कम हो गयी है। पशु मालिक अब मवेशियों को गौठान में भेज रहे हैं। ग्राम पंचायत में लगभग 10 एकड़ भूमि में पशुओं के लिए चारागाह का विकास ग्राम पंचायत द्वारा कराया गया है। चारा एवं पानी को एक साथ खिलाने के लिए कोटना सहित पक्के पशु शेड का भी निर्माण कराया गया है।
गौठान को आधुनिक रूप से विकसित करने की पहल की गई है। जिसके तहत कीचड़ आदि से बचाव के लिए भूमि विकास कार्य, सीपीटी निर्माण कार्य, पौधरोपण कार्य, आदि का निर्माण कराया गया है। मवेशियों को नया जीवन प्रदान करता यह गौठान भविष्य में अनेक ऊचाईयो को छूने और चरवाहों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अग्रसर है।

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