संविलियन के बाद भी वेतन को तरस रहे हैं य़े व्याख्याता

किसी कर्मचारी को यदि एक माह वेतन न मिले तो उसके घर की दशा बिगड़ जाती है और यदि टीम 3 महीने तक वेतन न मिले तो क्या दुर्दशा हुई होगी इसकी कल्पना सहज ही की जा सकती है , लेकिन बाबूराज की बानगी देखिए, राजधानी रायपुर में काम करने वाली 3 व्याख्याताओं जिनका संविलियन एक नवंबर 2020 की स्थिति में हुआ है उन्हें आज पर्यंत तक वेतन भुगतान नहीं किया गया है और इसके पीछे की वजह बताई जा रही है लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा जारी संविलियन आदेश की कंडिका नंबर 2 जिसमें यह लिखा गया है कि “संविलियन किए गए जिन कर्मचारी की परिवीक्षा अवधि समाप्त नहीं हुई है कि परिवीक्षा अवधि समाप्ति उपरांत ही वेतन वृद्धि तथा वेतन निर्धारण किया जाएगा “।

इस बिंदु को लेकर ऐसा नहीं है कि पहली बार मामला सामने आया है इससे पहले भी सूरजपुर में ऐसे ही मामले में एक बीईओ ने संविलियन होने वाले शिक्षक को पंचायत विभाग से भी कम वेतन दे दिया था और फिर जब इस मामले की लिखित शिकायत हुई तो 24 घंटे के अंदर ही आनन-फानन में कर्मचारियों को पूरा वेतन निर्धारण करके दिया गया था और उसी समय यह स्थिति स्पष्ट हो गई थी की संविलियन होने वाले शिक्षकों को उनके पद के लेवल का न्यूनतम वेतनमान देना ही होगा यानी व्याख्याताओं को लेवल 9 का न्यूनतम वेतन मिलना है और अधिकांश जगहों पर मिला भी है लेकिन राजधानी रायपुर के शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला देवरी में पदस्थ कुमारी कल्पना जांगड़े और अंजना टोप्पो तथा शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला कूरा में पदस्थ सुषमा कंवर को आज पर्यंत तक वेतन भुगतान नहीं किया गया है।

तमाम प्रयासों के बाद हार कर उन्होंने मामले की शिकायत सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक दुबे के माध्यम से लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक जितेंद्र शुक्ला से की है । लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि जब ऐसे ही मामले में पहले शिक्षकों को न्याय मिल चुका है तो राजधानी में महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर बैठे निचले कार्यालय के आहरण संवितरण अधिकारी ने उच्च कार्यालय से मार्गदर्शन मांग कर प्रकरण सुलझाया क्यों नहीं और आखिर शिक्षकों को इस प्रकार परेशान करने के पीछे की वजह क्या है ???

DPI और DEO को दी है पूरे मामले की जानकारी – विवेक दुबे

3 माह से वेतन न मिलने से आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान महिला शिक्षक साथियों ने मुझसे इस मामले की लिखित शिकायत की है जिसे मैंने संचालक लोक शिक्षण संचालनालय और रायपुर जिला शिक्षा अधिकारी को भेजकर पूरे मामले से अवगत कराया है और हमें पूरा यकीन है कि जिस प्रकार 24 घंटे में सूरजपुर के मामले में कार्यवाही हुई थी वैसा ही इस मामले में भी होगा, जरूरत इस बात की भी है कि ऐसे प्रकरणों में जिम्मेदारी तय की जाए और जो पक्ष दोषी हो उस पर कार्यवाही की जाए क्योंकि कहीं न कहीं खुले दिल से संविलियन का निर्णय लेने और अमलीजामा पहनाने वाले सरकार और राज्य कार्यालय की छवि पर भी इससे बट्टा लगता है और शिक्षक भी बेवजह परेशान हो रहे हैं ।

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