चिरायु से होगी आंगनबाड़ी केंद्रों व स्‍कूलों में टीबी और लेप्रोसी की जांच

रायपुर : छत्‍तीसगढ़ में नवजात शिशुओं से 18 वर्ष तकके बच्‍चों को टीबी और कुष्‍ठ रोग से मुक्‍त करने के लिए विशेष अभियान चलाकर आंगनबाड़ी और स्‍कूलों में हेल्‍थ चेकअप किया जाएगा। बाल्‍य अवस्‍था में किसी भी रोग से ग्रसित बच्‍चों के बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य के लिए स्‍वास्‍थ्‍य विभाग द्वारा स्‍कूल और महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ संयुक्‍त रुप से अभियान चलाया जाएगा| राष्ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम के अंतर्गत भारत सरकार ने टीबी एवं लैप्रोसी को भी शामिल किया है जिसमें 0-6 वर्ष तक के बच्‍चों का आंगनबाड़ी केंद्र और 6-18 वर्ष तक के बच्‍चें जो शासकीय और अनुदान प्राप्‍त स्‍कूलों के अध्‍ययनरत हैं। इन बच्‍चों की स्‍वास्‍थ्‍य जांच चिरायु की मेडिकल टीम चिंहांकन करेगी। चिंहांकन के बाद बच्‍चों को सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र, जिला अस्‍पताल व मेडिकल कॉलेज में जांच रिपोर्ट के लिए भेजी और इलाज मुहैया कराएगी।
राष्ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम के रायपुर जिले के नोडल अधिकारी डॉ एसके सिंहा ने बताया चिरायु योजना में अब तक 30 प्रकार के बिमारियों के अंतर्गत चिंहित बच्‍चों को इलाज की सुविधा थी जिसमें बच्‍चों में चार प्रकार की परेशानियों की जांच की जाती है। बच्‍चों में जन्‍मजात बिमारी, रोग, शाररिक कमी और विकलांगता सहित शाररिक विकास में रुकावट के लक्षणों के आधार पर जांच की जाती थी।
देश में जन्‍म लेने वाले 100 बच्‍चों में से 6-7 जन्‍म संबंधी विकार से ग्रस्‍त होते हैं। बच्‍चों में दांत, हृदय, श्‍वसन संबंधी रोग समूह बेहद आमतौर पर पाया जाता है। बच्‍चों में सभी आयु वर्गों में रोग की जल्‍द पहचान और परिस्थितियों के प्रबंधन द्वारा और भी सकारात्‍मक परिणाम प्राप्‍त किये जा सकते हैं। बाल स्‍वास्‍थ्‍य के शुरुआती इलाज से मरीज की स्थिति समय रहते ठीक होने से भविष्‍य में इलाज के लिए परिवार पर इलाज खर्च करने की जरुरत नहीं पड़ता है। जांच के लिए प्रत्‍येक विकासखंडों में दो चिरायु टीम बनाई जाती है जिसमें महिला एवं पुरुष डॉक्‍टर, फार्मासिस्‍ट और एएनएम को शामिल किया जाता है। प्रदेश में 317 चिरायु टीम कार्यरत है जिन्‍हें प्रशिक्षण देकर स्‍क्रीनिंग की जानकारी को ऑनलाइन डाटा एंटी भी करना है।
टीबी और कुष्‍ठ उन्‍नमूलन कार्यक्रम के रायपुर जिला नोडल अधिकारी डॉ एसएन पांडेय ने बताया स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण विभाग द्वारा राष्ट्रीय बीमारी नियंत्रण कार्यक्रम के तहत क्षय एवं कुष्‍ठ रोग का इलाज करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किया है। उन्‍होंने बताया संचारी रोगों के रोकथाम के लिए लोगों को जागरुक करना जरुरी है जिससे रोगों के संक्रमण दर को कम किया जा सके। क्षयरोग (टीबी) गंभीर समस्‍या है। छत्‍तीसगढ़ में नवंबर माह में वर्ष 2018 में 11,058 टीबी के मरीज नोटिफाई किये गए हैं| माह जून में वर्ष 2019 तक प्रति 100,000 जनसंख्‍या में 90 प्रतिशत सभी प्रकार के टीबी मरीजों का नोटिफिकेशन (खोज) किया गया है। राज्‍य के डाटा और स्‍वास्‍थ्‍य सूचकांक के अनुसार प्रदेश में फरवरी  2018 में कुष्‍ठ का प्रभाव दर प्रति 10000 में 2.30 मरीज थे, जो अब फरवरी 2019 में घटकर 1. 99 प्रति 10,000  में प्रभावित दर तक पहुंच गया है। कुष्‍ठ के प्रभाव को  समाप्‍त करने के लिए राष्ट्रीय दर 0.6 के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करना है।

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