रायपुर : “बालिकाएं अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें, रोजगार से जुड़े मूलभूत कौशल प्राप्त कर सकें और जीवन के जरूरी निर्णय, पूरी समझ एवं जानकारी के साथ ले सकें और एक सफल व विजयी जीवन का मार्ग प्रशस्त करें।” इस उद्देश्य से परियोजना विजयी का क्रियान्वयन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा आदिमजाति कल्याण विभाग और रूम टू रीड के सहयोग से किया जा रहा है।
परियोजना विजयी के अंतर्गत जीवन कौशल की मदद से कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, पोटाकेबिन और आश्रम शालाओं मंे अध्ययनरत बालिकाओं में जीवन कौशल की मदद से सकारात्मक परिवर्तन आ रहा है। इस परिवर्तन का प्रभाव संस्थाओं की अधीक्षिकाओं पर भी पड़ा है। परियोजना की सर्वे रिपोर्ट को साझा करने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा राज्य परियोजना कार्यालय राजीव गांधी शिक्षा मिशन बोर्ड ऑफिस परिसर में 16 सितम्बर को आयोजित बेसलाइन प्रसार कार्यशाला में यह जानकारी बहुभाषा शिक्षण समिति के सदस्यों और संबंधित संस्थाओं के अधीक्षिकाओं द्वारा दी गई। बेसलाइन अध्ययन के परिणामों का अध्ययन करके आगामी रणनीति तय करके प्रभावी तरीके से काम किया जायेगा।
परियोजना विजयी राज्य के 93 वें कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय, 28 पोटाकेबिंन, 53 आश्रम शाला और 5 अन्य आवासीय संस्थानों के साथ यह परियोजना क्रियान्वित हो रही है। कक्षा छठवीं से आठवीं की 179 संस्थानों में लगभग 16 हजार बालिकाएं इससे लाभान्वित हो रही हैं। इस परियोजना के अंतर्गत इन संस्थाओं में कार्यरत अधीक्षिकाओं और एक शिक्षिका का 4-4 दिवसीय प्रशिक्षण वर्ष 1 व 2 में दिया जा चुका है। प्रशिक्षण में अधीक्षिकाओं व शिक्षिकाओं द्वारा जीवन कौशल सत्रों के माध्यम से कक्षा छठवीं से आठवीं के बच्चों के साथ विभिन्न जीवन कौशल विषयों पर चर्चा की गई।
परियोजना विजयी के अंतर्गत राज्य के 19 जिले कोरिया, सूरजपुर, सरगुजा, कोरबा, कवर्धा, बिलासपुर, रायगढ़, जांजगीर चांपा, बालोदा बाजार, महासमुंद, बालोद, धमतरी, कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर, बीजापुर, बस्तर दंतेवाड़ा, सुकमा के 62 तहसीलों के कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय, पोटाकेबिन, आश्रम शाला के 72 आवासीय संस्थानों की बालिकाएं जो कक्षा आठवीं में अध्ययनत हैं, उनके साथ बेसलाइन अध्ययन एक अन्य संस्था (ज्ीपतकच्ंतजल) द्वारा किया गया है।
रूम टू रीड के वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी श्री प्रभात जायसवाल ने परियोजना विजयी के बारे में जानकारी दी। रूम टू रीड बहुभाषा शिक्षण टीम के सदस्यों ने बेसलाइन के रिपोर्ट को साझा करते हुए बताया गया की किन कौशलों में बालिकाओं को सुधार करने की आवश्यकता है और किन कौशलों के बारे में उन्हें जानकारी है। आवासीय संस्थानों की अधीक्षिकाओं द्वारा जीवन कौशल सत्रों पर किये गए प्रशिक्षण और बालिकाओं के साथ आयोजित किये जा रहे जीवन कौशल सत्रों से अनुभव एवं बालिकाओं में आ रहे सकारात्मक बदलावों को साझा किया। उन्होंने कहा कि जीवन कौशल की मदद से बालिकाओं में आत्मविश्वास, प्रभावी संवाद, सहानुभूति एवं अपने गुस्से को काबू करने जैसे कौशलों का विकास हो रहा है, साथ ही साथ अधीक्षिकाओं ने यह भी साझा किया कि जीवन कौशल की मदद से न सिर्फ बालिकाओं अपितु स्वयं उनमें भी सकारात्मक परिवर्तन आये हैं जैसे कि वे अब सबकी बातों को ध्यान से सुनते हैं, गुस्सा नहीं करते, आपस में चर्चा एवं बात करके अपने रिश्तों को बेहतर बनाये हैं, अधीक्षिकाओं का कहना हैं कि बालिकाएं जीवन कौशल सत्र के माध्यम से अब हमसे जुड़ने लगी है एवं अपनी बातें हमसे साझा करने लगी हैं। इसी के साथ ही उपस्थित सभी प्रतिभागियों ने परियोजना विजयी के माध्यम से आ चुके एवं आ रहे बदलावों को सभी के साथ साझा किया।
“बेसलाइन प्रसार कार्यशाला” में सहायक संचालक समग्र शिक्षा डॉ. एम.सुधीश, आदिम जाति कल्याण एवं विकास विभाग के सहायक संचालक श्री एम. के. मिश्रा, डाईट नगरी, बिलासपुर, एवं महासमुंद के व्याख्याता, तिल्दा नेवरा ब्लाक के विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी, टंडवा एवं मगरलोड विद्यालय की प्रधान अध्यापिका एवं प्रधानाध्यापक, स्टेट रिसोर्स ग्रुप सामग्री अवलोकन एवं अनुमोदन के सदस्य, रूम टू रीड दिल्ली से बहुभाषा शिक्षण एवं रूम टू रीड राज्य कार्यालय के सदस्य उपस्थित रहे। राज्य प्रमुख रूम टू रीड श्री निशांत श्रीवास्तव द्वारा सहमति व्यक्त करते हुए परियोजना विजयी के उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए संस्था और दोनों विभागों के निरंतर कार्य करने के लिए प्रेरित किया।